नई दिल्ली, एजेंसी। मेडिकल के पीजी पाठ्यक्रम में प्रवेश की परीक्षा नीट पास करने वाले डाक्टर काउंसलिंग में देरी के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन नीट की काउंसलिंग आरक्षण के पेच में फंसी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्लूएस) को दस फीसद आरक्षण देने के लिए आठ लाख रुपये सालाना आय की सीमा तय करने का आधार और प्रक्रिया क्या है। केंद्र ने कोर्ट से चार सप्ताह का समय मांग लिया था और कहा था कि उसने ईडब्लूएस की सालाना आय सीमा पर पुनर्विचार का फैसला लिया है। माना जा रहा है कि छह जनवरी को इस विषय में कोई फैसला हो सकता है और आंदोलनरत डाक्टरों को राहत मिल सकती है।
केंद्र सरकार ने इसी सत्र से मेडिकल के पाठ्यक्रम में प्रवेश की नीट परीक्षाओं के आल इंडिया कोटे में ओबीसी को 27 फीसद और ईडब्लूएस को 10 फीसद आरक्षण दिये जाने की अधिसूचना जारी की है। मालूम हो कि संविधान में 103वां संशोधन कर आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्लूएस) वर्ग के लिए 10 फीसद आरक्षण के प्राविधान किये गए हैं। सरकार ने ईडब्लूएस श्रेणी के लिए आठ लाख सालाना आय की सीमा तय की है जो ओबीसी क्रीमी लेयर की भी सीमा है। सुप्रीम कोर्ट मे कई याचिकाएं लंबित हैं जिनमें नीट पीजी में ओबीसी और ईडब्लूएस आरक्षण लागू करने को चुनौती दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह सरकार के नीति में दखल नहीं देना चाहता सिर्फ यह जानना चाहता है कि आठ लाख की सीमा तय करने का क्या कोई वैज्ञानिक आधार है इस बारे में कोई अध्ययन किया गया है। पिछली सुनवाई 25 नवंबर को केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार ने पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है। एक कमेटी गठित की जाएगी जो कि ईडब्लूएस की आय सीमा पर विचार करेगी। इसमें चार सप्ताह का समय लग सकता है। उन्होंने कहा था कि कोर्ट को पूर्व में दिये गए भरोसे के मुताबिक तबतक काउंसलिंग नहीं होगी।
पीठ के न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा था कि ईडब्लूएस आरक्षण सकारात्मक और प्रगतिवादी चीज है और सभी राज्यों को इसमें केंद्र का समर्थन करना चाहिए। यहां सवाल सिर्फ इतना है कि इसे तय करने का तरीका और आधार वैज्ञानिक होना चाहिए। नीट में कोटा लागू करने का विरोध कर रहे छात्रों के वकील अरविन्द दत्तार ने कहा था कि इस वर्ष काफी समय बीत चुका है ऐसे में ईडब्लूएस कोटा अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करना चाहिए और इस वर्ष की काउंसलिंग शुरू करने की इजाजत दी जानी चाहिए।
इस पर कोर्ट ने मेहता से पूछा था कि क्या ऐसा हो सकता है कि ईब्लूएस कोटा लागू करने का मामला अगले वर्ष तक खिसका दिया जाए और इस शैक्षणिक सत्र की काउंसलिंग चालू करने की इजाजत दी जाए, क्योंकि देर हो रही है। लेकिन मेहता ने कहा था कि सरकार ने इसी सत्र से संविधान में किये गए 103वें संशोधन (ईडब्लूएस को दस फीसद आरक्षण देना) को लागू करने का निर्णय लिया है ऐसे में इसे पीटे ढकेलना ठीक नहीं होगा।