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ओपीएस में 1000 करोड़ का घोटाला, वित्त विभाग के अधिकारियों ने ठिकाने लगा दी एनपीएस की रकम

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नई दिल्ली, एजेंसी। राजस्थान में सरकार बदलने के बाद अब वित्त (मार्गोपाय) विभाग के शीर्ष अफसरों की करतूत एक-एक कर सामने आ रही है। पिछली गहलोत सरकार ने कर्मचारियों के हित को देखते हुए जो ओल्ड पेंशन स्कीम डढर) लागू की थी उसमें भी वित्त विभाग के आला अफसरों ने बड़ा झोल कर दिया। ओपीएस की घोषणा करने के बाद भी जनवरी 2022 से मार्च 2022 तक कर्मचारियों के एनपीएस अंशदान की कटौती की गई। लेकिन, इस रकम को न तो केंद्र सरकार के एनएसडीएल फंड में जमा करवाया और न ही राजस्थान में कर्मचारियों के लिए खोले गए जीपीएफ खातों में रखा गया। विभाग के अफसरों ने इस पैसे को सामान्य राजस्व मद में जमा करवाकर खर्च कर दिया। यह खुलासा सीएजी की एक रिपोर्ट के अलावा 15वीं विधानसभा के अंतिम सत्र में पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में भी हुआ है।
प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू होने से पहले सरकार ने कर्मचारियों और उसके अनुपात में खुद का अंशदान एनएसडीएल में जमा करवाना बंद कर दिया, जबकि कर्मचारियों के वेतन से यह पैसा काटा गया था। यह रकम 641 करोड़ रुपए है। अब यह राशि न तो एनएसडीएल में जमा हुई न ही सरकार के पास लौटाने के लिए बची है।
कर्मचारियों को ओपीएस में दोहरी मार झेलनी पड़ेगी। न सिर्फ उनके एनपीएस का पैसा बजट घोषणाओं की पूर्ति में खर्च दिया बल्कि कर्मचारियों ने एनपीएस विड्रॉल का जो पैसा सरकार को वापस लौटाया उसे भी ठिकाने लगा दिया। यह राशि 382.41 करोड़ रुपए की है।
दरअसल, पिछली गहलोत सरकार ने ओपीएस लागू करने के साथ यह शर्त रखी थी कि जिन लोगों को ओपीएस में पेंशन लेनी है उन्हें एनपीएस से विड्रॉ की गई राशि ब्याज के साथ सरकार को लौटानी होगी। इस राशि को जीपीएफ खातों में जमा करवाया जाना था। लेकिन, अफसरों ने इसे मुफ्त की योजनाओं पर खर्च कर दिया। अब आने वाली नई सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती होगी कि कर्मचारियों के एक हजार करोड़ रुपए के फंड को वह कैसे वापस लौटाएगी। इसके साथ ही इस राशि को ठिकाने लगाने वाले जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है भी देखने वाली बात होगी।

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