उत्तराखंड में 200 नदियां पुर्नजीवित और तीन सौ बुग्याल होंगे संरक्षित : वन मंत्री
देहरादून। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने पहाड़ों में छोटी नदी, नालों और गधेरों पर मंडरा रहे अस्तित्व के खतरे पर चिंता जताते हुए उन्हें पुनर्जीवित करने के सरकार के संकल्प को दोहराया है। हिमालय दिवस पर नगर निगम सभागार में आयोजित हिमालय बचाओ अभियान कार्यक्रम में वन मंत्री ने कहा कि सरकार तकरीबन 200 छोटी नदियों, नालों, चाल-खाल के साथ ही साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित करीब 300 बुग्यालों का संरक्षण करेगी। वन मंत्री ने हिमालय बचाओ अभियान को लेकर आयोजित भाषण प्रतियोगिता के राज्य स्तर के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया। वन मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि, पहाड़ में आम आदमी व जीवनशैली से सांस्कृतिक, पर्यावरणीय रुप से जुड़े वनों पर मंडरा रहे खतरे को सरकार भी महसूस करती है। हमारा जल भंडार तेजी से खत्म हो रहा है। बिना हिमालय, गंगा और वनों के मानवता की कल्पना भी मुश्किल है। ये नहीं रहे तो मानवता भी नहीं रहेगी। अनियंत्रित विकास ने हिमालय के संवेदनशील पर्यावरण पर गंभीर संकट खड़ा किया है। ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। बर्फबारी में कमी आ रही है। पहाड़ में नदी, झरने, वन और गंगा नहीं रहेगी तो मानव जीवन भी नहीं रहेगा। ‘जीरो वाटर कैपिटल के रुप में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर का उदाहरण दिया। जहां लोग भूगर्भ जल के खत्म होने की कगार के चलते अभूतपूर्व पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति जागरुक करने के लिए जनसहभागिता जरुरी है। हमें वनों के प्रति अपनी जिम्मेदारी के भाव को बढ़ाना होगा। ग्लोबल वार्मिंग समाज के हरेक तबके के लिए भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती है। पॉलीथिन का दुष्प्रभाव बढ़ता जा रहा है। इस पर अंकुश के लिए सामूहिक जागरण की जरुरत है। हिमालय बचाओ अभियान के तहत इस मुहिम को लगातार जारी रख रहा है। जन सहभागिता के इस तरह के कार्यक्रम समाज को जागरूक करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।