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दो हजार के नोट चलन से बाहर होंगे?

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नई दिल्ली, एजेंसी। आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने की घोषणा की है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को सलाह दी है कि वे तत्काल प्रभाव से 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंकनोट जारी करना बंद करें। हालांकि 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोट वैध मुद्रा बने रहेंगे। जानकारी के मुताबिक, क्लीन नोट पॉलिसी के तहत आरबीआई ने यह फैसला लिया है। आरबीआई ने कहा है कि यह नोट 30 सितंबर तक कानूनी रूप से वैध रहेंगे।
आरबीआई ने नवंबर 2016 में आरबीआई एक्ट 1934 की धारा 24(1) के तहत ये नोट निकाले थे। रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के बाद इन नोटों को जारी किया था। यह फैसला इसलिए लिया गया था ताकि उस समय 500 और 1000 रुपये के जो नोट चलन से हटाए गए थे, उनका बाजार और अर्थव्यवस्था पर असर कम किया जा सके। जब दूसरे मूल्य के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गए, तब दो हजार रुपये को चलन में लाने का उद्देश्य पूरा हो गया। आरबीआई ने कहा कि 2000 रुपये के बैंक नोटों को लाने के उद्देश्य के एक बार पूरा हो जाने के बाद 2018-19 में 2000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी। उस समय तक अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गए थे। आरबीआई ने यह भी बताया है कि मार्च 2017 से पहले 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों में से लगभग 89 प्रतिशत जारी किए गए थे।
लोग दो हजार रुपये के नोट बैंक खातों में जमा करा सकेंगे या फिर उन्हें अन्य मूल्य के नोटों के साथ किसी भी बैंक शाखा में जाकर एक्सचेंज करा सकेंगे। लोगों को यह ध्यान रखना होगा कि एक बार में अधिकतम 20 हजार रुपये मूल्य के नोट बदलवाए जाए सकेंगे। यह प्रक्रिया 23 मई से शुरू होगी और 30 सितंबर 2023 को खत्म होगी।
एएनआई के सूत्रों ने बताया है कि 2000 रुपये का नोट 30 सितंबर के बाद भी लीगल टेंडर रहेगा। आरबीआई को उम्मीद है कि बैंकों के साथ नोट बदलने के लिए लोगों के लिए 4 महीने का समय पर्याप्त है। चलन में चल रहे 2000 रुपये के अधिकांश नोट 30 सितंबर की निर्धारित समय सीमा के भीतर बैंकों में वापस आ जाएंगे। यह आरबीआई की नियमित कवायद है और लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।

नोटबंदी के साढ़े छह साल बाद फइक ने क्यों लिया यह फैसला, जानें पांच कारण
नई दिल्ली। आरबीआई ने दो हजार के नोट वापस लेने का फैसला किया है। बैंक ने बताया है कि उसने क्लीन नोट पॉलिसी के तहत यह बड़ा फैसला लिया है। हालांकि यह नोट फिलहाल वैध रहेंगे। आरबीआई ने यह भी बताया कि यह नोट 30 सितंबर तक बैंकों में वापस लिए जा सकेंगे। इसकी प्रक्रिया 23 मई से शुरू होगी। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि सरकार ने 2016 में नोटबंदी के करीबन साढ़े छह साल बाद यह फैसला क्यों लिया है। पांच बिंदुओं में समझें आरबीआई का पूरा गुणा-गणित…
1. जब 2000 के नोट छापे गए तब उद्देश्य अलग था
आरबीआई ने नवंबर 2016 में दो हजार रुपये के नोट जारी किए थे। इन्हें आरबीआई कानून 1934 की धारा 24(1) के तहत जारी किया गया था। यह फैसला इसलिए लिया गया था ताकि उस समय चलन में मौजूद 500 और 1000 रुपये की जो करंसी नोटबंदी के तहत हटाई गई थी, उसके बाजार और अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सके।
2. नोट अपनी सीमा पूरी कर चुके हैं
आरबीआई के मुताबिक, दो हजार रुपये के तकरीबन 89% नोट मार्च 2017 से पहले ही जारी हो गए थे। ये नोट चार-पांच साल तक अस्तित्व में रहने की उनकी सीमा पार कर चुके हैं या पार करने वाले हैं।
3. चलन में मौजूद इन नोटों की संख्या अब काफी कम
31 मार्च 2018 को 6.73 लाख करोड़ रुपये के नोट सर्कुलेशन में थे। यानी कुल नोटों में इनकी हिस्सेदारी 37.3% थी। 31 मार्च 2023 तो यह आंकड़ा घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपये रह गया। यानी चलन में मौजूद कुल नोटों में दो हजार रुपये के नोटों की 10.8% हिस्सेदारी ही रह गई।
4. उद्देश्य भी पूरा हो गया, 2018 से छपाई भी बंद
नोटबंदी के बाद दो हजार रुपये के नोट लाए गए थे। जब दूसरे मूल्य के बैंक नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गए, तब दो हजार रुपये को चलन में लाने का उद्देश्य भी पूरा हो गया। लिहाजा, 2018 में दो हजार रुपये के नोटों की छपाई भी बंद कर दी गई।
5. लेनदेन में भी काफी कम इस्तेमाल हो रहे
फइक के मुताबिक, दो हजार रुपये के नोट आमतौर पर लेनदेन में बहुत ज्यादा इस्तेमाल में भी नहीं आ रहे। इसके अलावा, अन्य मूल्य के नोट भी आम जनता के लिए चलन में पर्याप्त रूप से मौजूद हैं। लिहाजा, आरबीआई की क्लीन नोट पॉलिसी के तहत यह फैसला लिया गया है कि दो हजार रुपये के नोटों को चलन से हटा लिया जाए।

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