कोटद्वार-पौड़ी

कोटद्वार नगर निगम में 21 लाख का गबन: चेक और हस्ताक्षर भी फर्जी बताये

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। नगर आयुक्त पीएल शाह ने कहा कि नगर निगम के खाते से 21 लाख 32 हजार 6 सौ रूपये की धनराशि निकालने के मामले में पुलिस जांच कर रही है। उम्मीद है जल्द ही पुलिस आरोपियों को पकड़ लेगी। बैंक आफ इंडिया की ओर से नगर निगम को पूर्व में जारी दो चेकबुक में नगर आयुक्त व लेखाधिकारी के जाली हस्ताक्षर कर यह धनराशि निकाली गई है। इन चेक में नगर आयुक्त और लेखाधिकारी के साईन स्कैन करके फर्जी साइन किये गये है। यह चेक भी फर्जी है। क्योंकि चेक बुक का कोड और पिन कोड नगर निगम की चेक बुक से मैच नहीं कर रहा है। मामले में दो चेक बुक पब्लिसर्स के नाम भी प्रकाश में आ रहे है। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक व्यवस्था के तहत कर्मचारियों के पटल बदल दिये गये है। लेखाधिकारी निकिता बिष्ट ने कहा कि लापरवाही के कारण नगर निगम के खाते से धनराशि निकाली गई है। यह किसी दक्ष व्यक्ति ने किया है। उन्होंने कहा कि बैंक में पांच बार चेक वापस होने के बाद भी बैंक ने छठी बार में चेक को क्लीयर कर दिया। पुलिस इस मामले की हर पहलू से जांच कर रही है।
बुधवार को नगर निगम सभागार में महापौर श्रीमती हेमलता नेगी ने पार्षदों के साथ बैठक की। बैठक में नगर निगम के खाते से 21 लाख 32 हजार 6 सौ रूपये निकालने पर चर्चा की गई। निगम के गठन से पूर्व सभी बैंक खातों का संचालन नगर पालिका कोटद्वार के नाम से होता था। इसी क्रम में कोटद्वार नगर पालिका ने 1979 में बैंक आफ इंडिया की कोटद्वार शाखा में एक खाता खोला। 23 अगस्त 2005 को नगर पालिका और तीन फरवरी 2018 को नगर निगम के नाम इस खाते से दो चेकबुक जारी की गई। नगर आयुक्त ने कहा कि इन चेकबुकों के संबंध में निगम के पास कोई जानकारी नहीं है। कुछ दिन पहले खातों की जांच के दौरान पता चला कि इन चेकबुकों के जरिये बैंक से 21 लाख 32 हजार 6 सौ रूपये की धनराशि निकाली गई है। नगर आयुक्त ने कहा कि दिन भर पार्षदों का कर्मचारियों के साथ बैठना गलत है। बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाया जायेगा कि पार्षद नगर निगम के अधिकारियों से दोपहर 12 बजे तक ही मिल पायेगें। आपातकालीन स्थिति में किसी भी समय पार्षद अधिकारियों से मिल सकते है। महापौर श्रीमती हेमलता नेगी ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर जिलाधिकारी पौड़ी गढ़वाल को अवगत करा दिया गया है। जिलाधिकारी से मामले की एसआईटी जांच कराने का भी अनुरोध किया गया है।
पार्षद सौरव नौटियाल ने कहा कि तीन साल बीत जाने के बाद भी नगर निगम में समितियों का गठन नहीं किया गया है। अगर समिति होती तो निगम में इतना बड़ा घोटाला नहीं होता। पार्षद सूरज प्रसाद कांति ने कहा कि हैड राइटिंग एक्सपर्ट से भी मामले की जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि पांच बार एक चेक वापस होने के बाद छठी बार कैसे क्लीयर हो गया। बैठक में पार्षद आशा डबराल, कविता मित्तल, ज्योति, नीरूबाला खंतवाल, राकेश बिष्ट, गीता नेगी, वीना नेगी, अमित नेगी, अनिल रावत, सुखपाल शाह, मनीष भट्ट, कमल नेगी, सौरव नौटियाल, जयदीप नौटियाल, पंकज भाटिया, सूरज प्रसाद कांति, प्रवेंद्र सिंह रावत, विवेक सहित अन्य पार्षद उपस्थित थे। (फोटो संलग्न है)
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बॉक्स समाचार
पूर्व की घटना से भी सबक नहीं लिया
कोटद्वार। पार्षद जयदीप नौटियाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि नगर निगम ने पूर्व में हुई घटनाओं से भी सबक नहीं लिया। अगर पूर्व की घटनाओं में दोषियों पर कड़ी कार्यवाही होती तो निगम के खाते से धनराशि निकालने का घोटाला नहीं होता। उन्होंने कहा कि पूर्व में नगर निगम के कार्यालय में देर सांय दस्तावेज खंगाले गये थे, लेकिन दोषियों पर आज तक कार्यवाही नहीं हो पाई है। वहीं सेनेटाइज मामले में एक कर्मचारी पर कार्यवाही कर मामले को दबा दिया गया।
बॉक्स समाचार
सौतेले व्यवहार का लगाया आरोप
कोटद्वार। पार्षद सौरव नौटियाल ने महापौर पर भाजपा पार्षदों के साथ सौतेले व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों के साथ विकास कार्यों में पक्षपात किया जा रहा है। नगर निगम के 25 वार्डों में 6-6 लाख रूपये की धनराशि से विकास कार्य किये गये, लेकिन 15 वार्डों में एक भी विकास कार्य नहीं किया गया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि लाईट लगाने में अनियमितता बरती जा रही जा रही है। भाजपा पार्षदों के वार्डों में पर्याप्त मात्रा में स्ट्रीट लाईट नहीं लगाई जा रही है। उन्होंने कोविड काल के दौरान घटिया सामाग्री खरीदने का भी आरोप लगाते हुए कहा कि पीपीई किट इतने घटिया थे कि पहनने से पहले से फट जा रहे थे। वहीं सैनेटाइजर भी बहुत ही घटिया था। पार्षद मनीष भट्ट ने कहा कि तीन माह से लाइटों की मरम्मत नहीं हो पाई है। जिस कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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