उत्तराखंड

हाई रिस्क जोन में जोशीमठ का 35 % हिस्सा, नगरवासियों ने बाहर बसने से किया साफ इनकार

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जोशीमठ (चमोली)। भू धंसाव प्रभावित नगर वासियों ने विस्थापन के नाम पर नगर से बाहर बसने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने विकल्प दिया कि स्थानीय लोगों की सेना व सरकारी विभागों के पास जो काश्तकारी भूमि है जिसका उन्हें मुआवजा नहीं मिला उन जगह पर लोगों को बसाया जाए।
पिछले साल नगर में हुए भू धसाव प्रभावितों की आपदा सचिव रणजीत सिन्हा की अध्यक्षता में जन सुनवाई हुई। नगर पालिका सभागार में आयोजित जनसुनवाई में आपदा प्रभावितों ने स्पष्ट कह दिया कि वह जोशीमठ से अन्यत्र विस्थापित नहीं होंगे। यहां से उनका रोजगार व अन्य संसाधन जुड़े हैं।
जनसुनवाई के दौरान बताया गया कि शासन ने गौचर के पास बमोथ गांव में पुनर्वास के लिए 25 हेक्टेयर भूमि को चिह्नित किया है। आपदा सचिव ने कहा कि नगर को तीन जोन में बांटा गया है। जिसमें हाई रिस्क जोन, मीडियम जोन और लो रिस्क जोन शामिल हैं। हाई रिक्स जोन को पहले 17 सेक्टरों में बांटा गया था। हमारी टीम ने तीन दिन सर्वे के बाद इसे 14 सेक्टरों में बांटा है। हाईरिस्क जोन में नगर के प्रमुख स्थान शामिल हैं।
सभी प्रभावित परिवारों को विकल्प दिए जाएंगे। भारत सरकार से चर्चा के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। लोगों की सुविधा के अनुसार विस्थापन की कार्रवाई की जाएगी। लोगों के जो विकल्प आएंगे शासन स्तर पर उसी के अनुसार रणनीति तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि नगर का 30 से 35 प्रतिशत हिस्सा हाईरिस्क जोन में है। वहीं जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति की ओर से आपदा सचिव को नौ सूत्रीय मांगों का ज्ञापन भी सौंपा गया।

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