देश-विदेश

प्राण प्रतिष्ठा: काशी के डोमराजा समेत ये 15 होंगे यजमान, रामलला की रजत प्रतिमा ने किया मंदिर भ्रमण

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

 

अयोध्या , एजेंसी। श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में काशी के डोमराजा समेत विभिन्न वर्गों से 15 यजमान सपत्नीक शामिल होंगे। इनके निर्धारण में ध्यान रखा गया है कि समाज के निचले पायदान से भी प्रभु श्री राम के समारोह में भागीदारी हो। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार उदयपुर से बनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष रामचंद्र खराड़ी,असम से राम कुई जेमी, गुरुचरण सिंह गिल जयपुर, कृष्ण मोहन हरदोई, रमेश जैन मुल्तानी, अझलारासन तमिलनाडु, विट्ठलराव कांबले मुंबई, महादेव गायकवाड़ घुमंतू समाज, ट्रस्टी लातूर महाराष्ट्र, श्रीलिंग राज वासव राज अप्पा, कलबुर्गी कर्नाटक, दिलीप वाल्मीकि लखनऊ, अनिल चौधरी डोमराजा काशी और काशी के ही कैलाश यादव,कवींद्र प्रताप सिंह व पलवल हरियाणा के अरुण चौधरी प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के यजमान होंगे।
शनिवार को मंदिर परिसर में शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में मुख्य यजमान समेत सैकड़ों की संख्या में वैदिक आचार्य व परिसर में मौजूद भक्त शामिल रहे। पालकी में सवार विराजमान रामलला की रजत प्रतिमा पर जगह-जगह पुष्पवर्षा की गई। इसके बाद उन्हें पुन: यज्ञमंडप में स्थापित कर अधिवास की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इससे पहले शनिवार की सुबह अनुष्ठानों का शुभारंभ गणपति पूजन से हुआ। इसके बाद रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे। रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम:…मंत्र से श्रीराम की स्तुति की गई। इसके बाद मंडप के सारे आवाहित देवताओं का पूजन हुआ।
इसी क्रम में रामलला के अचल विग्रह को जगाया गया। फिर अधिवास प्रारंभ हुआ। शक्कर, फल, अनाज व पुष्प में रखकर अधिवास की प्रक्रिया पूरी की गई। शाम को मंडप में सभी देवताओं का नित्य की तरह होम-हवन किया गया। भगवान राम के निमित्त 11 हजार मंत्रों का जप भी हुआ। वेद के द्वारपालों ने वेदों का पाठ किया। शनिवार को हुए अनुष्ठान में मुख्य यजमान डॉ़ अनिल मिश्र के अलावा विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार भी मौजूद रहे।
अनुष्ठान की कड़ी में रामलला के अचल विग्रह का औषधियुक्त 81 कलशों के जल से अभिषेक किया गया। इसी क्रम में रामलला के नए प्रासाद यानि महल का अधिवासन किया गया। जल से पूरे महल को स्नान कराया गया। आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि वास्तुशांति की प्रक्रिया में यह अधिवासन किया जाता है। महल के कोने-कोने में देवताओं का वास होता है। दरवाजे, स्तंभ, ड्योढ़ी, सीढ़ी, पत्थर सब में देवता होते हैं इसलिए सभी को स्नान कराकर वास्तुशांति की प्रार्थना की गई।
काशी के वैदिक आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि अनुष्ठान में श्रीराम के साथ उनके परिकारों की भी पूजा हो रही है। शनिवार को पिंडिका अधिवासन हुआ है। इसी पिंडिका के नीचे 11 करोड़ जप के साथ अभिमंत्रित रामयंत्र रखा गया है। उस रामयंत्र में माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शुत्रह्न, सुग्रीव हनुमान व पूरी सेना के साथ रामचंद्र विराजित हैं। इन सबकी पूजा हो रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!