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हमास के ट्रेनर पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में घुसा रखे हैं 71 आतंकी, ऑपरेशन में अब टारगेट पर 107

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नई दिल्ली, एजेंसी। ‘इस्राइल’ और ‘हमास’ के बीच चल रही जंग में कई तरह के सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। मसलन, हमास की तरफ कौन-कौन से देश हैं, हथियारों की मदद कहां से मिल रही है और ट्रेनिंग के लिए किसने मदद की है, आदि। जून 2021 में पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक और वरिष्ठ सांसद रजा जफर उल हक ने सार्वजनिक तौर पर यह बात स्वीकार की थी कि पाकिस्तान की आर्मी ने गाजा पट्टी में हमास के लड़ाकों को मिलिट्री ट्रेनिंग दी है। हमास के लिए यह ट्रेनिंग प्लेटफार्म लंबे समय से संचालित हो रहा है। उसी पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में भी अपने ’71’ दहशतगर्द भेजे हैं। भारतीय सुरक्षा बलों के कमरतोड़ ऑपरेशन में अब जम्मू-कश्मीर में कुल ‘107’ आतंकवादी टारगेट पर हैं। इनमें से लोकल आतंकियों की संख्या महज ’36’ है, जबकि पाकिस्तानी दहशतगर्दों का आंकड़ा ’71’ है। पाकिस्तानी आईएसआई और उसके गुर्गे आतंकी संगठनों को अब घाटी में दहशतगर्दी बढ़ाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जब अधिकांश लोकल युवा, पड़ोसी मुल्क के आतंकी संगठनों के बहकावे में आकर हथियार उठाने से मना कर देते हैं तो पाकिस्तान को मजबूरन अपने यहां से आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में भेजना पड़ता है।
रजा जफर उल हक ने कहा था कि पाकिस्तान की आर्मी ने गाजा पट्टी में हमास के लड़ाकों को मिलिट्री ट्रेनिंग दी है। पाकिस्तानी आर्मी ने अपनी स्पेशल कमांडो यूनिट की एक बटालियन को गाजा में भेजा था। यह बात इस तथ्य को पुख्ता करती है कि पाकिस्तान, आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। जम्मू-कश्मीर में कई दशकों से हो रहे आतंकी हमले, इस बात का गवाह हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा समय में जम्मू कश्मीर में 71 विदेशी (पाकिस्तानी) आतंकी सक्रिय हैं। ये गहरे जंगलों में छिपे हैं। यही आतंकी, मौका मिलने पर सुरक्षा बलों को भारी नुकसान पहुंचा देते हैं। इन आतंकियों की मदद के लिए ओवर ग्राउंड वर्करों की एक बड़ी संख्या काम कर रही है। हालांकि अब जम्मू कश्मीर पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियां, ओवर ग्राउंड वर्करों को उनके ठिकानों से बाहर निकाल रही हैं। जम्मू-कश्मीर में 2022 के दौरान 187 आतंकी मारे गए थे। इनमें लोकल आतंकी 130 थे, जबकि 57 विदेशी आतंकी थे। 11 आतंकियों ने सुरक्षा बलों के सामने सरेंडर किया था।
गत वर्ष 373 आतंकी व उनके मददगार पकड़े गए थे। इस साल वह संख्या 217 है। इस वर्ष एक आतंकी ने सरेंडर किया है। इस साल अभी तक 53 आतंकी मारे गए हैं, जिनमें 13 लोकल और 40 विदेशी हैं। अक्तूबर माह के दौरान आठ आतंकी/मददगार पकड़े गए हैं। सितंबर में यह संख्या 39 रही थी। एक मुठभेड़ के अंतराल के बाद ये आतंकी, सिक्योरिटी फोर्स की हर मूवमेंट से जुड़ा इंटेलिजेंस एकत्रित करते हैं। इनके पास जो संचार सिस्टम होता है, उसे ट्रैक करना आसान नहीं होता। वे आपसी बातचीत के लिए विभिन्न तरह के ‘एप’ का इस्तेमाल करते हैं। इन दहशतगर्दों को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ की ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) और ‘जैश-ए-मोहम्मद’ की सक्रिय प्रॉक्सी विंग ‘पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट’ (पीएएफएफ) के माध्यम से मदद मिलती है।
जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के आतंकी संगठनों की मदद से कई दूसरे समूह भी सक्रिय हैं। इनमें यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जम्मू कश्मीर (यूएलएफजेएंडके), मुजाहिद्दीन गजवत-उल-हिंद (एमजीएच), जम्मू कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (जेकेएफएफ) और कश्मीर टाइगर्स आदि शामिल हैं। पाकिस्तान से घुसपैठ के जरिए भारतीय सीमा में घुसे आतंकियों के बारे में सुरक्षा एजेंसियों को अधिक जानकारी नहीं मिल पाती है। वजह, वे जंगलों में छिपे रहते हैं। लोकल संगठनों की मदद से सुरक्षा बलों की आवाजाही के इनपुट जुटाते हैं। एक अंतराल के बाद ही किसी हमले को अंजाम देते हैं। इसके पीछे भी एक वजह है। घाटी में अब लोकल स्तर पर नए आतंकियों की भर्ती में तेजी से कमी आ रही है। 2018 में 187 आतंकी, 2019 में 121, 2020 में 181, 2021 में 142 और 2022 में 91 आतंकी भर्ती हुए थे। इस साल वह संख्या, गिनती के आतंकियों तक सीमित है। जम्मू कश्मीर पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों ने नई भर्ती पर काफी हद तक नकेल कस दी है। इसके चलते पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन, छोटे हमलों पर फोकस नहीं कर रहे। जम्मू कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तान के आतंकियों का इस्तेमाल वे किसी बड़े हमले के दौरान ही करते हैं।
अब हाइब्रिड आतंकी बन रहे बड़ा खतरा
सुरक्षा बलों के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि घाटी में अभी हाल-फिलहाल में कोई बड़ी घुसपैठ नहीं हुई है। संभव है कि ये सभी विदेशी आतंकी कई वर्षों से घाटी में कहीं पर छिपे हों। सुरक्षा बलों की वहां तक पहुंच न हो सकी हो। मौजूदा समय में जितने भी आतंकी सक्रिय हैं, वे जंगलों में छिपे बैठे हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस, आईबी, आर्मी एवं अन्य एजेंसियां आतंकियों के ठिकाने तक पहुंचने का प्रयास कर रही हैं। इन आतंकियों को घाटी में किसी न किसी तरह की मदद तो मिल ही रही है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता। सीमा पार के आतंकी संगठन, पाकिस्तानी आतंकियों को बचाना चाहते हैं। वे ज्यादा से ज्यादा हाइब्रिड आतंकी तैयार कर रहे हैं। हाइब्रिड आतंकियों की मदद से ही टारगेट किलिंग की वारदात को अंजाम दिया जाता है। ये आतंकी, पब्लिक के बीच ही अंडर ग्राउंड वर्कर बनकर काम करते हैं। इन पर पुलिस या आम जनता को शक नहीं होता, क्योंकि ये उनके बीच में ही रहते हैं।

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