स्वास्थ्य सचिव ने शपथपत्र पेश कर बताया, वन रावतों की 90 फीसद आबादी का हो चुका वैक्सीनेशन
नैनीताल। हाईकोर्ट ने वन रावतों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगाए जाने सम्बन्धित पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुए दो सप्ताह में प्रति शपथपत्र पेश करने को कहा है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुहास रतन जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
अधिवक्ता जोशी ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के बारे में मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था। जिसमें कहा था कि कोरोना काल में राज्य में अपना अस्तित्व खो रही वन रावतों को अब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं लगी है। वन रावत आर्थिक, समाजिक, शिक्षा से बहुत पिछड़े हैं। इनके पास कोविन एप पर रजिस्ट्रेशन और स्लट बुक करने के लिए स्मार्ट फोन तक नहीं है। इस कारण भी आदिम जनजाति का वैक्सीनेशन नहीं हो पा रहा है।
सरकार ने भी इनको वेक्सीन लगाने के लिए कोई पहल अभी तक नहीं की है। बीते दिनों सुनवाई के दौरान कोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव से इसमें जवाब पेश करने को कहा था । साथ में यह भी पूछा था कि इनकी संख्या कितनी है। मंगलवार को स्वास्थ्य सचिव की ओर से कोर्ट में शपथपत्र पेश कर कहा गया है कि प्रदेश में वन रावतों की संख्या लगभग एक हजार के आसपास है। जिसमें से 90 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लग चुकी है । करीब सौ लोग अभी उच्च हिमालय की तरफ चले गए हैं । अक्टूबर तक जब ये नीचे आ जाएंगे तो, उनको भी वैक्सीन लगा दी जाएगी।