रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बोले- श्रीलंका की हर संभव मदद कर रहा भारत, नौसेना के युद्घपोत की गिनाईं खूबियां
कोलकाता, एजेंसी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों से मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है और इसके लिए हमेशा प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि श्रीलंका में संकट के समय भारत उसके साथ खड़ा है और यथासंभव मदद कर रहा है। कोलकाता में रक्षा पीएसयू गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसइ) द्वारा भारतीय नौसेना के लिए निर्मित स्वदेशी युद्घपोत श्दूनागिरी के जलावतरण के मौके पर उन्होंने कहा कि यह युद्घपोत भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। इससे नौसेना की ताकत में इजाफा होगा और यह उसकी भविष्य की जरुरतों पर खरा उतरेगा।
उन्होंने आगे कहा- श्दुनिया आज किन परिस्थितियों से गुजर रही है, उससे सभी वाकिफ हैं। कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्घ से भारत भी प्रभावित रहा है लेकिन उसके बावजूद हम संकट के समय श्रीलंका की मदद कर रहे हैं। इससे पहले भारत ने नेपाल, मालदीव व अन्य देशों की भी मदद की है।
रक्षा मंत्री ने इस दौरान पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसपर निशाना साधा। उन्होंने बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए कहा कि वह आज धार्मिक उन्माद, कट्टरपंथ और संकीर्णता को पीटे छोड़कर विकास का रास्ता अपनाकर तेजी से प्रगति की राह पर बढ़ रहा है। पड़ोसी होने के नाते भारत के लिए यह सचमुच खुशी की बात है लेकिन हमारा एक पड़ोसी (पाकिस्तान) धार्मिक उन्माद, कट्टरपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देकर आज खुद भी आतंक व गरीबी से परेशान है और भारत को भी परेशान करने की कोशिश करता है। पाकिस्तान को आज बांग्लादेश से सीखने और आत्मविश्लेषण करने की जरूरत है।
सिंह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भरता की जो राह दिखाई है, भारत आज उस तरफ बढ़ चला है और हमें एक नए भारत का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि यह युद्घपोत हमारे लिए बहुत बड़ी संपत्ति साबित होगा। लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमान पूरे द्रोणागिरी पर्वत को उठा ले आए़.़उसी तरह यह युद्घपोत द्रोणागिरी या दूनागिरी भी किसी भी स्थिति में अपने काम को निष्कर्ष देने में सक्षम है। यह समुद्र से लेकर आसमान तक और पानी के अंदर दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार समेत सेना, नौसेना व जीआरएसइ के वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद रहे।
परियोजना 17ए के तहत निर्मित यह दूसरा युद्घपोत (स्टील्थ फ्रिगेट) है। इस युद्घपोत की सबसे बड़ी खासियत है कि ये अत्याधुनिक संसाधनों जैसे बराक-8 मिसाइल और हायपरसोनिक ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों से लैस होगा। दुश्मन के रडार भी इसे ट्रैक नहीं कर सकेंगे। युद्घपोत की लंबाई 149 मीटर और वजन क्षमता करीब 6670 टन है जबकि इसकी रफ्तार 28 समुद्री मील प्रति घंटा होगी। यह पूरी तरह स्वदेशी है और श्मेक इन इंडिया के तहत इसका निर्माण किया गया है। जलावतरण के बाद यह अत्याधुनिक नौसैन्य पोत गहन परीक्षण से गुजरेगा और उसके बाद इसे 2024 तक नौसेना को सौंपे जाने की उम्मीद है।