विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को क्घ्या भारतीय संस्थानों में दी गई प्रवेश की अनुमति
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को भारतीय मेडिकल संस्थानों में स्थानांतरित या समायोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है। युद्घ और कोरोना महामारी के चलते यूक्रेन और चीन में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले लगभग 40 हजार भारतीय छात्रों को स्वदेश लौटना पड़ा है और उनकी पढ़ाई अधर में लटक गई है।स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक सवाल के जवाब में सदन को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के साथ ही साथ किसी भी विदेशी चिकित्सा संस्थानों से मेडिकल छात्रों को भारत के मेडिकल कालेजों में समायोजित या स्थानांतरित करने के नियमों में ऐसा कोई प्रविधान नहीं है। बंगाल सरकार द्वारा अपने यहां के मेडिकल कालेजों में यूक्रेन से लौटे 400 भारतीय मेडिकल छात्रों को समायोजित किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसी कोई सूचना नहीं है।
सदन को एक लिखित जवाब में पवार ने बताया कि पांच दौर की काउंसलिंग के बाद भी नीट-पीजी 2021 में 1,456 सीटें रिक्त रह गईं। उन्होंने कहा कि डीम्ड विश्वविद्यालयों के संबंध में रिक्त सीटों को संबंधित विश्वविद्यालयों में वापस कर दिया गया। एक अन्य जवाब में उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई करने जाने वाले छात्रों का डाटा नहीं रखती है।
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने सदन को बताया कि 28,663 भारतीयों ने बच्चा गोद लेने के लिए आवेदन किया है। 1,030 अनिवासी भारतीयों (एनआरआइ) और प्रवासी भारतीयों (ओसीआइ) ने भी सेंट्रल एडाप्शन रिसोर्स अथारिटी के पास बच्चा गोद लेने के लिए आवेदन किया है। 2021-22 में देश में 2,991 बच्चों को गोद लिया गया, जबकि दूसरे देशों में रहने वाले लोगों ने 414 बच्चों को गोद लिया।
बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोकसभा को बताया कि सरकार नौवहन से उत्सर्जन कम करने के लिए प्रतिबद्घ है और 2030 तक देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बना दिया जाएगा। इसके लिए मैरीटाइम इंडिया विजन (एमआइवी) 2030 के तहत उपायों पहचान की गई है। सागरमाला कार्यक्रम के तहत 5़5 लाख करोड़ की लागत वाली 800 से ज्यादा परियोजनाओं की पहचान की गई है जिन्हें 2015 से 2035 के दौरान सभी तटीय राज्यों में लागू किया जाना है।