बदहाल हुआ ऐता-चरेख मार्ग, हर मोड़ पर बना है खतरा
दुगड्डा ब्लॉक के अंतर्गत पिछले कई वर्षों से बदहाल पड़ा है मार्ग
शिकायत के बाद भी जिम्मेदार विभाग मार्ग मरम्मत की नहीं ले रहा सुध
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: पहाड़ में यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए सरकारी सिस्टम कितना गंभीर है, इसका एक उदाहरण दुगड्डा ब्लॉक के अंतर्गत ऐता-चरेख मोटर मार्ग पर देखने को मिल रहा है। दरअसल, वर्षों से बदहाल पड़े इस मोटर मार्ग की आज तक सरकारी सिस्टम ने कोई सुध नहीं ली। नतीजा, वर्षा काल में मार्ग से सफर करने वाले यात्रियों व वाहन चालकों को हर समय हादसों का अंदेशा बना हुआ है। मार्ग पर पहाड़ी से गिर रहे बोल्डर व भूस्खलन भी यातायात को प्रभावित कर रहा है।
वर्ष 2010 में घाड क्षेत्र के चरेख, बंगला, धरगांव, उर्तिच्छा, सिमलखेत, पाली, रामड़ी, धूराताल, कैंतूगी, भेल सरूड़ा, उमरैला तल्ला व उमरैला मल्ला सहित अन्य गांव को सड़क से जोड़ने के लिए 22 किलोमीटर लंबे ऐता-चरेख मोटर मार्ग को स्वीकृति मिली थी। कार्यदायी संस्था ने फरवरी 2011 में 533 लाख रुपये की लागत से मार्ग निर्माण कार्य शुरू कर दिया था। अगस्त 2012 तक उक्त मार्ग का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाना था। लेकिन, बजट में देरी के कारण यह मार्ग वर्ष 2015 में बनकर तैयार हुआ। दर्जनों गांव के सड़क से जुड़ने के बाद ग्रामीणों को इसका बेहतर लाभ भी मिल रहा था। लेकिन, देखरेख के अभाव में कुछ वर्षों में ही यह मार्ग बदहाल स्थिति में पहुंच चुका है। ग्राम प्रधान बाल नंदन सिंह रावत ने बताया कि भूस्खलन के कारण मार्ग पर घुटने-घुटने तक मलबा जमा हो गया है। कई स्थानों पर सड़क का हिस्सा ही ढह गया है। बहदाल मार्ग कब यात्रियों की जिंदगी पर भारी पड़ जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता। पूरे मार्ग पर एक दर्जन से अधिक डेंजर जोन बने हुए हैं।
एनएच का विकल्प है यह मार्ग
वर्षाकाल में पहाड़ी से बोल्डर गिरने के बाद कोटद्वार-दुगड्डा राष्ट्रीय राजमार्ग कई बार बंद हो जाता है। जिसके बाद कोटद्वार से पहाड़ जाने व आने वालों को लिए ऐता-चरेख मार्ग यातायात का विकल्प बनता है। लेकिन, सरकारी सिस्टम की अनदेखी के कारण ऐता-चरेख मार्ग लगातार बदहाल स्थिति में पहुंच रहा है। यही नहीं मार्ग पर जगह-जगह बड़ी-बड़ी झाड़ियां भी उग चुकी हैं। ऐसे में दोपिहया वाहन चालकों को जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता है।