शीतकाल के लिए बंद हुए केदारनाथ धाम के कपाट
रुद्रप्रयाग। हिमालय स्थित विश्व प्रसिद्घ भगवान केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज के पवित्र मौके पर सुबह 8रू30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। मुख्य पुजारी टी गंगाधर लिंग ने पूजा अर्चना के साथ वैदिक मंत्रोचार के बीच कपाट बंद किए। इससे पहले भगवान की समाधि पूजा की गई। अब छह महीने बाबा केदार की शीतकाल पूजा अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होगी। भक्तों के जयकारों के बीच डोली देर सांय रात्रि विश्राम के लिए रामपुर पहुंची।
विश्व प्रसिद्घ केदारनाथ धाम के कपाट गुरुवार को भैया दूज के मौके पर परम्परानुसार शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। मध्य रात्रि भक्तों के दर्शन के बाद सुबह ब्रह्ममूर्त में भगवान शिव की समाधि पूजा की गई। जबकि इसके बाद कपाट बंद होने की परम्परा का निर्वहन किया गया। सम्पूर्ण पूजा अर्चना के बाद गर्भ गृह और फिर मंदिर का मुख्य द्वार बंद किया गया। इस दौरान डोली के मंदिर से बाहर आते ही भक्तों में जबर्दस्त उत्साह देखा गया। बम बम भोले के जयघोषों के बीच डोली ने मंदिर की परिक्रमा कर गौरीकुंड के लिए प्रस्थान किया। सेना की 11 मराठा रेजीमेंट के बैंड की मधुर धुनों के बीच जय बाबा केदार के जयघोषों के साथ बाबा की पंचमुखी उत्सव डोली ने केदारनाथ से प्रस्थान किया। हजारों भक्तों के साथ डोली देर सांय रात्रि विश्राम के लिए रामपुर पहुंची। जहां बड़ी संख्या में भक्तों ने डोली का स्वागत किया।
बाबा की डोली 28 अक्तूबर को विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी और 29 अक्तूबर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। जहां पूजा अर्चना और परम्परा के साथ डोली को पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान किया जाएगा। इसके बाद शीतकाल के छह महीने भगवान केदारनाथ की पूजा ऊखीमठ इसी मंदिर में की जाएगी। ऐसी मान्यता है कि केदारनाथ धाम में छह महीने नर और छह महीने नारायण यानि देवता भगवान आशुतोष की पूजा करते हैं। इस मौके पर बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, सीईओ योगेंद्र सिंह, कार्याधिकारी आरसी तिवारी, केदारसभा अध्यक्ष विनोद शुक्ला सहित बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे।