राहुल के कार्यक्रम में राष्ट्रगान के बजाय बजने लगा कुछ और, हुई फजीहत, बीजेपी ने लिया निशाने पर
नई दिल्ली, एजेंसी। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उस समय अजीब स्थिति पैदा हो गई जब राष्ट्रगीत के बजाय स्पीकर पर कुछ और ही गीत बजने लगा। इसे लेकर अब राहुल गांधी भाजपा और विरोधियों के निशाने पर हैं। ये वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है। वीडियो में दिख रहा है कि महाराष्ट्र में कार्यक्रम के दौरान मंच पर मौजूद राहुल गांधी नेताओं से राष्ट्रगीत चलाने को कहते हैं, लेकिन जब इसे चलाया जाता है तो कोई दूसरा ही गीत बजने लगता है।
इसके बाद राहुल गांधी ने माइक पर घोषणा की, अब राष्ट्र गीत बजेगा। मंच पर हर कोई सावधान की मुद्रा में खड़ा हो जाता है। लेकिन कोई अनजान गीत बजना शुरू हो जाता है, तो राहुल गांधी हैरान दिखते हैं और एक कांग्रेसी नेता की ओर सवालिया अंदाज में इशारा करते हैं। ट्विटर पोस्ट के मुताबिक, गलती से जो गीत बजा था वह नेपाली एंथम था। आखिर में राष्ट्रगान बजाया गया, लेकिन इसका लंबा पांच-पैरा वाला संस्करण चुना गया था। तभी किसी ने नारा लगाया, ष्भारत माता की जयष्, जबकि राष्ट्रगान अभी भी बज रहा था। इसके बाद इसे बंद कर दिया गया।
ट्विटर पर वीडियो साझा करने वालों में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी शामिल थे। उन्होंने कांग्रेस नेता और भारत जोड़ो यात्रा पर कटाक्ष करते हुए पूछा, ष्राष्ट्रीय गीत भारत को एकजुट करने के लिए?ष् तमिलनाडु के बीजेपी नेता अमर प्रसाद रेड्डी ने इस वीडियो को इस सवाल के साथ शेयर किया, ष्राहुल गांधी, यह क्या है?ष्
भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी सांस्तिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए रुकते हैं और स्थानीय लोगों के साथ डांस भी करते हैं। तमिलनाडु के कन्याकुमारी में 7 सितंबर को शुरू हुआ यह अभियान 20 नवंबर को अपनी 12 राज्यों की यात्रा के तहत मध्य प्रदेश में प्रवेश करेगा।
वादा करने के बाद भी भाजपा की सरकारें बेरोजगारों को नौकरी नहीं दे रही हैं। महागठबंधन सरकार दे रही है तो भाजपा बौखला गई है। यह सच कि अभी हो रही बहालियों की प्रक्रिया राजग सरकार के समय में ही शुरू हुई थी। इनमें से कुछ विभागों में उसी समय नियुक्ति पत्र दे दिया गया था। नए बहाल कर्मचारी प्रशिक्षण लेकर कार्यस्थल पर तैनात भी हो गए थे। हालांकि, हर मामले में ऐसा नहीं है। वैसे राज्य में कोई भी नियुक्ति निर्धारित समय में पूरी नहीं हो पाती है। सरकारी एजेंसियां बहाली की प्रक्रिया पूरी करती हैं। परिणाम घोषित होने से पहले या परिणाम घोषित होने के बाद मामला हाई कोर्ट में पहुंच जाता है। अभी जिन लोगों को नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है, उसकी प्रक्रिया पहले से चल रही है।
राज्य में महागठबंधन सरकार का गठन 10 अगस्त को हुआ। छह सितंबर को अनुसूचित जाति, जनजाति विभाग में 62 लिपिकों को नियुक्ति पत्र दिया गया। 20 सितंबर को 4,325 राजस्व कर्मियों को मुख्यमंत्री के हाथों नियुक्ति पत्र दिया गया। नीतीश सरकार में भाजपा कोटे से राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि 4,325 राजस्व कर्मचारियों को अगस्त के पहले सप्ताह में नौकरी दे दी गई थी। उन्हें जिला भी आवंटित कर दिया गया था। 27 सितंबर को 283 पशु चिकित्सक नियुक्त किए गए। मुख्यमंत्री ने तीन नवंबर को 183 उर्दू अनुवादकों और नौ नवंबर को विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग में विभिन्न पदों के लिए 425 लोगों को नियुक्ति पत्र दिया। 14 नवंबर को जल संसाधन विभाग में एक हजार से अधिक कर्मचारी बहाल हुए। 10 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र देने के लिए गांधी मैदान में 17 नवंबर को मेगा शो का आयोजन किया गया।
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जिन 10 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र दिया गया। वे सभी पहले से काम कर रहे हैं। पहले से काम कर रहे कर्मी को नियुक्ति नहीं प्रतिनियुक्ति पत्र दिया जा सकता है। सिन्हा के अनुसार पुलिसकर्मियों की बहाली के लिए नवंबर 2020 में विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। शारीरिक दक्षता परीक्षा इस साल फरवरी से अप्रैल के बीच हुई। राजग सरकार के समय ही सभी पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया था।
राजद के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि महागठबंधन सरकार बेरोजगार नौजवानों के चेहरे पर मुस्कान और खुशहाली ला रही है। इससे भाजपा नेताओं में बौखलाहट और बेचौनी है। जहां भाजपा नौकरी छीन रही है। नरेंद्र मोदी की सरकार ने आठ वर्षों में 16 करोड रोजगार देने की जगह सिर्फ सात लाख 22 हजार लोगों को नौकरी या रोजगार दिया है।