अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिल रही मोटे अनाजों को पहचान
नई टिहरी। अंतरराष्ट्रीय पोषक पोषक अनाज वर्ष 2023 को व्यापक स्तर पर मनाने के लिए वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवं विवि के वानिकी महाविद्यालय रानीचौरी ने कार्ययोजना बनाई है। महाविद्यालय अखिल भारतीय समन्वित मोटा अनाज शोध परियोजना के तहत बीते गई वर्षों से उत्तराखंड में मोटे अनाजों के उत्पादन एव उत्पादन क्षेत्र को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। इस बाबत शोध परियोजना की प्रभारी प्राध्यापक डा़ लक्ष्मी रावत ने बताया कि शोध परियोजना के तहत किसानों को न केवल उन्नत किस्म मंडुवा, झंगोरा, कौनी व चीणा के बीच दिये जाते हैं, साथ ही उनमें लगने वाले रोगों एवं कीटों से सुरक्षा के लिए कई प्रकार की जानकारियां प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदान की जाती है। इन फसलों को आज अंतरराष्ट्रीय और व राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने लगी है। वर्ष 2023 को भारत की अगुआई में दुनियाभर में अंतराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष बड़े पैमाने पर मनाया जायेगा। जिसके लिए रानीचौरी महाविद्यालय में बड़ी तैयारी की योजना बनाई है। इसके लिए अभी से अंतरराष्ट्रीय वर्ष मिल्लेटस-2023 को व्यापक रूप से मनाने के लिए मोटा अनाज शोध परियोजना के तहत अभी गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं। जिसके तहत प्रत्येक माह मोटे अनाज से सम्बंधत जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। यह सिलसिला दिसंबर 2023 तक निरंतर चलाया जायेगा। डा़ रावत ने इस बात पर जोर दिया गया कि क्यूंकि जनसंख्या में अनियंत्रित वृद्घि, शहरीकरण के कारण षि योग्य भूमि कि कमी होती जा रही है। भविष्य के लिए ऐसी फसलों का चुनाव करें कि प्रतिकूल परिस्थितियों में उगाई जा सके और न केवल मानव जीवनयापन अपितु पशुधन के लिए भी उपयोगी सिद्घ हो । प्रति के साथ अनुकूलता एवं बाजार में इन फसलों की बढ़ती मांग पर्वतीय किसानों के आर्थिक स्वालम्बन की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।