महर्षि दयानंद के जीवन से प्ररेणा लें
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : आर्य समाज में चल रहे बोधोत्सव के दूसरे दिन स्वामी महेश योगी ने एक बालक की मूलशंकर से महर्षि दयानंद बनने तक की जीवन यात्रा का वर्णन करते हुए कहा कि महर्षि जैसे महापुरुष स्व अध्ययन के बल पर ही आगे बढ़े। लगातार अध्ययन करने से सही गलत का निर्णय करने की क्षमता बढ़ती है। इसलिए हमें अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करना नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने महर्षि दयानंद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा लेकर उनके आदर्शों पर चलने की सलाह दी। बदांयू से पधारे आचार्य संजीव रूप ने सोलह संस्कारों के प्रथम गर्भाधान संस्कार का महत्व बताया। उन्होंने रामायण, महाभारत के उदाहरणों के द्वारा यह भी समझाया कि सिर्फ अन्न का ही नहीं अन्न कौन बना रहा है और किस मनोवृत्ति के साथ बना रहा है इसका भी प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है। इस अवसर पर आर्य समाज कोटद्वार के प्रधान राजेंद्र ग्रोवर, नवीन कुमार, मधु बत्रा, शशि सिंघल आदि उपस्थित थे। मंच संचालन हिमांशु अग्रवाल ने किया।