उत्तराखंड

राज्य आंदोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण पर फैसला न होने पर जताई नाराजगी

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देहरादून। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने राज्य आंदोलनकारियों के लम्बित मामलों पर हीला हवाली को लेकर नाराजगी जताई है। आंदोलनकारियों का कहना है कि उनके सब्र का बांध टूट रहा है साथ ही जिला प्रशासन जिस तरह से राज्य आंदोलनकारियों को चक्कर कटवा रहा है उससे स्थितियां सुलझने के बजाय उलझती जा रही हैं। शहीद स्मारक पर हुई बैठक में प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण और लम्बित चिन्हीकरण के साथ ही मजबूत भू-कानून, मूलनिवास का निस्तारण नहीं होने को लेकर आक्रोश बढ़ता जा रहा है। यह महत्वपूर्ण मामला पिछले 22 वर्षों से नहीं सुलझ पाया है। पुष्पलता सिलमाना, सत्या पोखरियाल ने कहा कि हम पूर्व में भी सरकार के आश्वासन पर विश्वास करते रहे हैं। लेकिन वह अपने वादे पर खरे नहीं उतरी है, आखिर मुख्यमंत्री उन्हें उम्र के इस पड़ाव में सड़कों पर आने को मजबूर क्यों कर रहे हैं। प्रदेश महामंत्री रामलाल खंडूड़ी, प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस मसले पर जल्द निर्णय लेने की अपील की। द्वारिका बिष्ट, बीर सिंह रावत ने कहा कि यदि एक माह में इसका निस्तारण नहीं हुआ तो सड़कों पर उतरकर अपने अधिकारों के लिए लड़ा जाएगा। बैठक में जगमोहन सिंह नेगी, केशव उनियाल, राजेश्वरी नेगी, मुन्नी खंडूड़ी, सत्या पोखरियाल, अरुणा थपलियाल, संगीता रावत, मोहन सिंह रावत, सतेन्द्र नोगाई, सुरेश कुमार, विनोद असवाल, प्रवीण गुसाईं, हरी सिंह मेहर, अम्बुज शर्मा, मनोज नोटियाल, प्रभात डंडरियाल, सुशील चमोली, कमला भट्ट, पूरण सिंह लिंगवाल, उमेश चंद्र रमोला, चंद्र किरण राणा, मोहन खत्री, गणेश डंगवाल, सुरेश कुमार, सुमन भण्डारी, ध्यान पाल बिष्ट, राजेश पांथरी, सुमित कुमार थापा मौजूद रहे।

 

 

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