लाठीचार्ज से मौत पर सरकार का आपदा प्रबंधन; कहा- अचेत मिले, जारी वीडियो में बयान- भगदड़ में गिरे
पटना , एजेंसी। बिहार की नई शिक्षक भर्ती नियमावली और चार्जशीट दाखिल होने के बावजूद डिप्टी सीएम पद से तेजस्वी यादव को नहीं हटाए जाने के विरोध के साथ 10 लाख सरकारी नौकरी के वादे पर सवाल के साथ भारतीय जनता पार्टी का विधानसभा मार्च गुरुवार को लहूलुहान हो गया। आंसू गैस के गोलों, पानी की बौछार और अंधाधुंध लाठीचार्ज से कई बार भगदड़ मची। लाठी की मार और भगदड़ में गिरने से कई नेताओं के हाथ-पैर टूटे। कई अस्पताल में भर्ती हैं। जहानाबाद भाजपा के एक नेता की मौत हो गई। पुलिस हिंसक किसके आदेश पर हुई, यह बताने की जगह अफसर राज्य सरकार का चेहरा बचाने के लिए आपदा प्रबंधन करते रहे।
जहानाबाद निवासी भाजपा नेता विजय सिंह की मौत की खबर उनके घर पहुंची तो वहां कोहराम मच गया। विजय सिंह के साथ रहे भाजपा नेता उनके जिंदा रहते भी साथ थे और मौत के समय भी। पोस्टमार्टम कराने पहुंचे, तब तक घर पर खबर कर दी गई। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता विजय सिंह के परिजनों को ढांढ़स बंधाने पहुंच गए, लेकिन सरकार ने इस मौत की पुष्टि करने में घंटों गुजार दिए। मीडिया के लगातार सवालों के बाद जिला प्रशासन और पुलिस ने दो लाइन की संदेहास्पद जानकारी तब दी, जब मौत हो चुकी थी। संदेहास्पद कैसे, यह उनकी ओर से दी सूचना को देखकर समझें- “जहानाबाद के एक व्यक्ति श्री विजय सिंह छज्जूबाग में सड़क किनारे अचेतावस्था में पाए गए थे। शरीर पर कोई चोट का निशान नहीं है। उन्हें ढटउऌ में भर्ती कराया गया है। विस्तृत विवरण प्राप्त किया जा रहा है।”
सड़क किनारे अचेतावस्था में पाए जाने की सूचना अपने आप में संदेहास्पद है, क्योंकि भाजपा नेताओं के साथ ही परिजनों ने भी कहा कि जहानाबाद से विजय सिंह भाजपा के मार्च में शामिल होने आए थे। उनकी मौत की खबर फैलने के बाद यह मैसेज आया। उसके करीब डेढ़ घंटे बाद अस्पताल में एक बुजुर्ग के वीडियो बयान को जारी किया गया। जहानाबाद के निजामुद्दीनपुर निवासी भरत प्रसाद चंद्रवंशी इस वीडियो में वह कह रहे हैं- “हमलोग समारोह में जा ही रहे थे। जाने के पहले ही भगदड़ मची और यह गिर गए। गिरने के क्रम में हो सकता है कि सिर में चोट लगी। हमलोग एक प्राइवेट अस्पताल लेकर गए। वहां मशीन पर ले जाया गया, लेकिन रिस्पांस नहीं मिला। वहां से एम्बुलेंस कर पीएमसीएच लाया गया।” भाजपा नेता शैलेश महाजन ने कहा कि अफसरों ने इस वीडियो बयान को मीडिया तक इसलिए पहुंचाया, क्योंकि इसमें जहानाबाद के यह बुजुर्ग कह रहे हैं कि वह जा ही रहे थे। “जा रहे थे और जाने से पहले ही भगदड़ मची” का मतलब क्या है? पटना में कहीं सड़क पर वैसे ही भगदड़ मच जाती है? लाठीचार्ज का वीडियो राज्य की जनता देख चुकी है और भगदड़ से चोटिल लोगों को भी। क्या इस हत्या को सरकार दूसरे तरीके से जस्टिफाई करना चाह रही है?