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पुरानी पेंशन व्यवस्था में शामिल होने का मौका

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अर्धसैनिक बलों-दिल्ली पुलिस के इन कार्मिकों को मिलेगा लाभ
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और दिल्ली पुलिस के कुछ ऐसे कार्मिक, जिन्हें ज्वाइनिंग के बाद राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में शामिल कर दिया गया था, अब वे दोबारा से पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का लाभ ले सकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इस बाबत आदेश जारी कर दिए गए हैं। इस संबंध में डीओपीटी के 3 मार्च 2023 के कार्यालय ज्ञापन का हवाला दिया गया है। दिल्ली पुलिस आयुक्त के दफ्तर से भी ऐसे ही आदेश दिए गए हैं। दिल्ली पुलिस में अनेक ऐसे कार्मिक हैं, जिनकी भर्ती प्रक्रिया 2003 में शुरु हुई थी, मगर ज्वाइनिंग 2004 या उसके बाद मिली थी। इस क्रम में करीब तीन दर्जन वे ‘एसआई’ भी शामिल हैं, जो सीधी भर्ती के जरिए सेवा में आए थे। इनकी ज्वाइनिंग 2005 में हुई थी, जबकि भर्ती प्रक्रिया 2003 में शुरु हुई थी। नतीजा इन सभी को एनपीएस में शामिल कर दिया गया। अब ऐसे सभी कार्मिकों को पुरानी पेंशन चुनने का विकल्प दिया गया है।
केंद्र सरकार के इन आदेशों में कहा गया है कि ऐसे अधिकारी या कार्मिक, जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को अधिसूचित किये जाने की तारीख यानी 22 दिसंबर, 2003 से पहले विज्ञापित या अधिसूचित किए गए पदों के तहत, केंद्र सरकार की सेवाओं में शामिल हुए हैं, अब ऐसे सभी कर्मी या अधिकारी, केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 (अब 2021) के तहत पुरानी पेंशन योजना में शामिल होने के योग्य हैं। उन्हें दोनों विकल्पों में से एक चुनना होगा।
दिल्ली पुलिस आयुक्त कार्यालय के आदेशों में कहा गया है कि वे 31 अगस्त तक अपना विकल्प दे दें। कोई भी योग्य कार्मिक इस विकल्प से दूर न रहें, इसके लिए संबंधित विभाग द्वारा यह सूचना उन तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा। इसके लिए वायरलैस पर सूचना और रोल कॉल के दौरान कार्मिकों को यह जानकारी देने की कोशिश होगी। पुलिस आयुक्त कार्यालय का प्रयास है कि यह विकल्प हर योग्य कर्मचारी या अधिकारी तक अवश्य पहुंच जाए। ये एक बारगी विकल्प है। 31 अक्तूबर तक हर तरह से यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
केंद्र सरकार के अन्य विभागों में कार्यरत कार्मिकों को भी यह विकल्प दिया गया है। उन्हें भी 31 अगस्त, 2023 तक इस विकल्प का उपयोग करना होगा। अगर कोई योग्य कर्मचारी, उक्त अवधि तक पुरानी पेंशन योजना का विकल्प नहीं चुनता है तो इसका मतलब यह निकाला जाएगा कि वह कर्मी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में रहने का इच्छुक है। उसे एनपीएस के तहत लाभ प्रदान किए जाएंगे। कोई भी योग्य कर्मचारी, अब इन दोनों योजनाओं में से कोई एक विकल्प चुन लेता है तो वह अंतिम विकल्प माना जाएगा। उसके बाद विकल्प में कोई बदलाव नहीं होगा। बता दें कि केंद्र सरकार के तहत सीएपीएफ, दिल्ली पुलिस और अन्य विभागों में अनेक ऐसे कर्मी हैं, जिनकी भर्ती प्रक्रिया 22 दिसंबर 2003 से पहले शुरु हो चुकी थी, लेकिन उनकी ज्वाइनिंग 2004 या उसके बाद हुई है। ऐसे सभी कार्मिकों को एनपीएस में शामिल कर दिया गया।
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में ‘पुरानी पेंशन’ लागू करने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 जनवरी को दिए अपने फैसले में कहा था कि ‘सीएपीएफ’ में आठ सप्ताह के भीतर पुरानी पेंशन लागू कर दी जाए। अदालत की वह अवधि होली पर खत्म हो चुकी है।
केंद्र सरकार, उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ, सुप्रीम कोर्ट में तो नहीं गई, मगर अदालत से 12 सप्ताह का अतिरिक्त समय मांग लिया है। खास बात है कि सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष जो दलील दी है, उसमें 12 सप्ताह में ‘ओपीएस’ लागू करने की बात नहीं कही है। इस मुद्दे पर महज सोच-विचार के लिए समय मांगा है।
इस अवधि में केंद्र सरकार, दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकती है या कानून के दायरे में कोई दूसरा रास्ता भी अख्तियार कर सकती है। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में दी अपनी याचिका में ये सब अधिकार अपने पास सुरक्षित रखे हैं।

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