शिविर में स्वयं सेवकों को रक्तदान का महत्व बताया
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : श्री गुरू राम राय पब्लिक स्कूल देवी रोड़ कोटद्वार की रोसेयो इकाई के सात दिवसीय शिविर के तीसरे दिन बौद्धिक सत्र में विद्यालय के प्रधानाचार्य डीएम रतूड़ी ने स्वयं सेवी छात्र-छात्राओं को उत्तराखंड आंदोलन की शुरुआत करने वाले इंद्रमणि बड़ोनी को उत्तराखंड का गांधी क्यों कहा जाता है, इसके पीछे बडोनी की महान तपस्या व त्याग है। राज्य आंदोलन को लेकर उनकी सोच और दृष्टिकोण को लेकर आज भी उन्हें याद किया जाता है।
प्रधानाचार्य ने बताया कि इंद्रमणि बड़ोनी का जन्म आज ही के दिन यानी 24 दिसंबर 1925 को टिहरी जिले के जखोली ब्लॉक के अखोड़ी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सुरेश चंद्र बडोनी थे। साधारण परिवार में जन्मे बड़ोनी का जीवन अभावों में गुजरा। उनकी शिक्षा गांव में ही हुई। देहरादून से उन्होंने स्नातक की उपाधि हासिल की थी। वह ओजस्वी वक्ता होने के साथ ही रंगकर्मी भी थे। लोकवाद्य यंत्रों को बजाने में निपुण थे। आज उत्तराखण्ड उनका जन्म लोक संस्कृति दिवस के रूप में मना रहा है। इस मौके पर एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि उत्तराखंड के गांधी ने सदैव मानवता एवं पर्वतीय प्रदेश के लिए संघर्ष किया। उत्तराखंड का अलग राज्य देखने से पहले ही वह हमारे बीच से चले गए। उन्होंने बच्चों को बेहतर भविष्य निर्माण की कड़ी बताया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी लोक संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।
शिविर के दूसरे दिन शनिवार को समाज सेवी दलजीत सिंह ने रक्तदान के संदर्भ में लोगों के मन में जो भ्रांतियां हैं, उनका निराकरण करते हुए रक्त के कार्य, रक्त ग्रुप रक्तदान के लाभ बताते हुए स्वयं सेवियों को रक्तदान के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि रक्तदान करना बहुत ही अच्छा कार्य है। रक्तदान करने से शरीर हमेशा स्वस्थ रहता है। 18 से 60 वर्ष के स्वस्थ व्यक्ति को रक्तदान अवश्य करना चाहिए। रक्तदान करने से जरूरतमंद लोगों को रक्त की पूर्ति होती है व शरीर के लिए लाभदायक भी होता है। गंभीर बीमारी वाले व्यक्ति जैसे ब्लड प्रेसर, मधुमेह, हृदय रोग से ग्रसित लोगों को रक्तदान नहीं करना चाहिए। रक्तदान करने से कई फायदे है। हमारे शरीर में नए रक्त की उत्पत्ति होती है। जिससे शरीर हमेशा स्वस्थ रहता है। हमें रक्तदान अवश्य करना चाहिए। इस अवसर पर विद्यालय के अध्यापक, अध्यापिकाएं और बच्चे उपस्थित थे।