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गुणवत्तायुक्त पेयजल वितरण व खपत के अनुसार भुगतान को ठोस कार्ययोजना बने: सीएम

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि लोगों को गुणवत्ता युक्त पेयजल मिले और पानी के उपभोग के अनुसार ही बिल भुगतान हो, इसके लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। सचिवालय में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि मीटर लगाने के साथ ही पानी की खपत के अनुसार ही लोगों से चार्ज लिया जाए। इसके लिए एक सरल और स्पष्ट नीति बनाई जाए, साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि मानकों का निर्धारण करना जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र एक रूपये में पानी का कनेक्शन दिया जा रहा है। इस योजना के तहत उत्तराखण्ड के सभी ग्रामीण परिवारों को पीने का स्वच्छ पानी नल द्वारा पहुंचाया जायेगा। जल संस्थान, स्वजल एवं पेयजल निगम को इसके लिए कार्यदायी एजेंसी बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ईज आफ डूईंग बिजनेस की रैंकिंग में सुधार के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सुधार की प्रक्रिया में और तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। निर्धारित रिफार्म एक्शन प्लान के अनुरूप कार्य किए जाएं। उत्तराखण्ड राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि प्राप्त करने वाले राज्यों की श्रेणी में सम्मिलित हो इसके लिये प्रभावी प्रयास किये जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ईज आफ डूईंग बिजनेस में हालांकि उत्तराखण्ड वर्ष 2015 में 23 वें स्थान से अब 11 वें स्थान पर आ गया है। परंतु इसमें और सुधार के लिए पूरी गम्भीरता से प्रयास किए जाएं। कोविड-19 के दृष्टिगत तमाम सावधानियां भी रखनी हैं। साथ ही औद्योगिक इकाईयों को प्रोत्साहित भी करना है। राज्य के उद्यमी, आत्मनिर्भर भारत पैकेज में एमएसएमई क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों का लाभ उठा सकें, इसके लिए उनका हरसम्भव सहयोग किया जाए। वोकल फोर लोकल के तहत स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि निवेशकों को अनावश्यक परेशान न होना पड़े। प्राप्त निवेश प्रस्तावों का समयबद्धता के साथ निस्तारण हो। कोविड-19 के कारण केंद्र व सभी राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। अब अनलॉक में काफी कुछ गतिविधियां खोल दी गई हैं। राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए अनलाक की नई परिस्थितियों के अनुरूप कार्ययोजना बनाकर काम किया जाए। अनावश्यक व्यय को कम किया जाए परंतु विकास योजनाओं पर इसका प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति सहित विभिन्न जन कल्याण योजनाओं के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) सिस्टम की ओर अधिक ध्यान दिया जाय। सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सभी पात्र लोगों को मिले, इसके लिए सभी लाभार्थियों का आधार सीडिंग हो। बैठक में अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, सचिव नितेश झा, शैलेष बगोली, सौजन्या, अपर सचिव नीरज खैरवाल, नगर आयुक्त देहरादून विनय शंकर पाण्डे आदि उपसअगले 3 माह में बाजार से करीब 3हजार करोड़ रुपये कर्ज उठाएगी प्रदेश सरकार
देहरादून। कोरोना के कारण उपजे आर्थिक दबाव से निपटने के लिए प्रदेश सरकार दिसंबर तक हर महीने एक-एक हजार करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से उठाएगी। सरकार ने इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक से भी आग्रह किया है। इतने कर्ज के बावजूद सरकार का वित्त विभाग इसे अत्यधिक नहीं बता रहा। प्रदेश सरकार अभी तक बाजार से करीब 2100 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। कारोना काल में कर्मचारियों के वेतन में कमी के बावजूद सरकार को हर माह बाजार से कर्ज भी लेना पड़ रहा है। इसी के तहत अब प्रदेश सरकार ने आने वाले प्रत्येक माह में दो बार रिजर्व बैंक की ओर से आयोजित नीलामी में भाग लेना स्वीकार किया है। वित्त विभाग के मुताबिक रिजर्व बैंक को इसकी जानकारी दे दी गई है। तय है कि अगले तीन माह में प्रदेश सरकार बाजार से करीब 3000 हजार करोड़ रुपये कर्ज उठाएगी।
केंद्र का मिला सहारा, एक साथ कई मोर्चो पर है राहत
जीएसटी की प्रतिपूर्ति के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र की ओर से प्रस्तावित पहले विकल्प को स्वीकार किया है। जीएसटी परिषद की सोमवार को हुई बैठक में राज्यों को बाजार से 97 हजार करोड़ की बजाय 1.10 लाख करोड़ रुपये की बाजार उधारी एक खास व्यवस्था के तहत लेने की अनुमति दी गई है। इस विकल्प के तहत लिए गए लोन पर राज्य सरकार को मूलधन और ब्याज नहीं भरना होगा। इसके साथ ही केंद्र से कैंपा और अन्य केंद्रीय अनुदान में इजाफा होने का भी राज्य को फायदा मिला है।
अधिक बाजार उधारी से बचने की भी कोशिश
बजट में प्रदेश सरकार ने करीब दस हजार करोड़ की बाजार उधारी का अनुमान लगाया था। केंद्र की ओर से बाजार उधारी की सीमा दो प्रतिशत बढ़ा दी गई है। इससे राज्य सशर्त करीब 4600 करोड़ रुपये अधिक कर्ज बाजार से उठा सकता है। इतना होने पर भी अधिक बाजार उधारी से बचने की भी कोशिश है। वित्त विभाग का मानना है कि शायद ही प्रदेश को दस हजार करोड़ रुपये से अधिक की बाजार उधारी की जरूरत पड़े।
बाजार से कर्ज के लिए हमारे पास पर्याप्त स्पेस मौजूद है। केंद्र सरकार को राज्य की ओर से पहला विकल्प दिया ही जा चुका है। जीएसटी परिषद की ओर से इस विकल्प में 97 हजार करोड़ रुपये की सीमा को बढ़ाकर 1.10 लाख करोड़ रुपये किया गया है। इससे हमें करीब 200 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिल सकते हैं। इतना जरूर है कि अधिक बाजार उधारी के पक्ष में राज्य नहीं है और न ही अभी इसकी जरूरत महसूस हो रही है।

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