उत्तराखंड

मानदंडों के अनुसार काम से ही शिक्षा में होगा सुधार

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देहरादून। शिक्षण एवं शोध की गुणवत्ता कायम करने के लिए उन सभी मानदडों की समझ और जानकारी होना जरूरी है। जिन पर गुणवत्ता की परख की जाती है। आज राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्ता मापन के विभिन्न आयामों को प्रयोग में लाया जा रहा है। लेकिन जब तक प्रत्येक शिक्षक को उन आयामों की जानकारी नहीं होगी, तब तक शिक्षा की गुणवत्ता के लक्ष्य को प्राप्त करना संभव नहीं होगा । ये बात दून विवि की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने शनिवार को आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ की कार्यशाला में कही। डा. सुरेखा कहा कि इसलिए आवश्यकता है कि समय-समय पर शिक्षा की गुणवत्ता मापन के लिए प्रयोग में लाये जा रहे आयामों पर विवि के शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारी विमर्श एवं मंथन करें। कहा कि इस कार्यशाला से विश्वविद्यालय की शिक्षण पद्धति, परीक्षा-मूल्यांकन एवं शोध की गुणवत्ता में सुधार के बेहतर विकल्प तलाशे जायेंगे। कुलपति प्रोफेसर डंगवाल ने कहा की राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रत्यायन परिषद आने वाले समय में नैक मूल्यांकन के आयामों में भी बदलाव करने जा रहा है। इसलिए हमें इस तरह के गुणवत्ता युक्त शिक्षा से संबंधित होने वाले बदलावों के अनुरूप अपनी कार्य पद्धति एवं शिक्षण पद्धति में समय समय पर बदलाव करना होगा।
इस दौरान आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के समन्वयक प्रोफेसर एचसी पुरोहित,प्रोफेसर आरपी ममगाई, प्रो गजेंद्र सिंह, प्रो आशीष कुमार, प्रो हर्ष डोभाल सहित कई लोग मौजूद रहे।

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