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देश में रोजाना होती हैं बलात्कार की 86 घटनाएं, ज्यादातर मामलों में परिचित ही अपराधी

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नईदिल्ली, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का मामला पूरे देश में गूंज रहा है।इस मामले में आज देशभर के डॉक्टर 24 घंटे की हड़ताल पर हैं। इस मामले के बाद देश में महिला सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर लोगों की जुबान पर है।इस बीच जानते हैं कि देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध खासकर बलात्कार के आंकड़े कितने चौंकाने वाले हैं।राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 से 2022 के बीच भारत में बलात्कार के कुल 1.89 लाख मामले दर्ज किए गए, जिनमें 1.91 लाख पीडि़त शामिल थे।इस दौरान भारत में रोजाना औसतन बलात्कार के 86 मामले दर्ज किए गए। यानी हर एक घंटे में बलात्कार की 4 घटनाएं हुई हैं।बड़ी बात यह है कि इनमें से 82 मामलों में बलात्कार करने वाला पीडि़ता का कोई परिचित शख्स ही निकला था।बलात्कार पीडि़तों की सबसे अधिक संख्या 18 से 30 वर्ष की आयु के बीच है। कुल 1.89 लाख मामलों में से 1.13 लाख पीडि़त इसी आयु वर्ग से थे।हर दिन होने वाले 86 बलात्कारों में से 52 में पीडि़ता की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच की है।2022 में बलात्कार के कुल 31,516 मामले सामने आए, जिनमें से 21,063 मामलों में पीडि़ता की उम्र 18-30 साल के बीच थी।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ‘क्राइम इन इंडिया 2021’ रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में बलात्कार के सबसे ज्यादा 6,337 मामले राजस्थान में दर्ज किए गए थे।इसके बाद मध्य प्रदेश में 2,947, महाराष्ट्र में 2,496, उत्तर प्रदेश में 2,845, दिल्ली में 1,250 मामले दर्ज किए गए।एक लाख की जनसंख्या पर बलात्कार के अपराध की दर राजस्थान में 16.4 प्रतिशत थी। इसके बाद चंडीगढ़ में 13.3, दिल्ली में 12.9, हरियाणा में 12.3 और अरुणाचल प्रदेश में 11.1 प्रतिशत थी।
आंकड़ों से पता चलता है कि महिलाएं अपने कार्यस्थल पर भी सुरक्षित नहीं हैं।2017 में 485, 2018 में 402, 2019 में 509, 2020 में 488, 2021 में 419 और 2022 में 422 महिलाओं के साथ कार्यस्थल पर यौन शोषण किया गया। ज्यादातर मामलों में अपराधी महिला का सहकर्मी ही था।साल 2014 में 618, साल 2015 में 577 और 2016 में 600 ऐसे मामले सामने आए, जब महिला के साथ किसी सहकर्मी ने यौन शोषण किया।
आंकड़ों के मुताबिक, 2018-2022 के बीच बलात्कार के मामलों में दोष साबित होने की दर 27-28 प्रतिशत थी।ये इस अवधि में 5 सबसे गंभीर अपराधों में से दूसरी सबसे नीची दर थी। इन 5 अपराधों में हत्या, अपहरण, दंगा करना और गंभीर चोट पहुंचाना शामिल हैं।इस पर बात करते हुए वरिष्ठ वकील रेबेका एम जॉन ने कहा, एक कारण है कानून के डर की कमी। कानून को समान रूप से लागू नहीं किया जा रहा है।

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