जस्टिस एनवी रमण, कहा- न्यायाधीशों को निडरता के साथ लेने चाहिए फैसले ताकि बना रहे जनता का यकीन
नई दिल्ली, एजेंसी । सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमण ने कहा कि न्यायपालिका की सबसे बड़ी ताकत उसमें लोगों का विश्घ्वास है। इसे कायम रखने के लिए न्यायाधीशों को अपने सिद्घांतों के प्रति अडिग होकर निडरता के साथ फैसले करने चाहिए। सनद रहे हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने भारत के प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिख जस्टिस रमण पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एआर लक्ष्मणन की शोक सभा में शनिवार को जस्टिस एनवी रमण ने उक्त बातें कही। मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के आरोपों के परिप्रेक्ष्य में जस्टि रमण की टिप्पणियां खास मायने रखती हैं। जस्टिस एनवी रमण ने कहा कि न्यायपालिका की सबसे बड़ी ताकत है लोगों का इसमें यकीन बरकरार रहे। इसे देखते हुए न्यायपालिका को निष्ठा, विश्वास और अपनी स्घ्वीकार्यता बनाए रखनी पड़ती है।
ऐसा पहली बार है कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी के पत्र लिखने से शुरू हुए विवाद के बाद जस्टिस रमण ने कोई सार्वजनिक टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि एक न्यायाधीश के लिए जरूरी है कि वह अपने सिद्घांतों पर अडिग बना रहे और निडरता के साथ फैसले करे। किसी भी न्यायाधीश की खासियत होनी चाहिए कि वह तमाम तरह की बाधाओं और दबावों, विषम परिस्थतियों के बावजूद साहस के साथ निर्णय दे। बीते 27 अगस्त को पूर्व जस्टिस एआर लक्ष्मणन का निधन हो गया था। उन्घ्हें याद करते हुए जस्टिस रमण ने कहा कि हम सभी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और न्यायपालिका की आजादी को बनाए रखने का प्रयास करते रहना चाहिए। इसकी आज के दौर में बहुत जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी रेड्डी ने छह अक्टूबर को मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि राज्य के हाईकोर्ट का इस्तेमाल कथित तौर पर मेरी सरकार को अस्थिर करने में किया जा रहा है। यही नहीं रेड्डी ने सीजेआई से इस मामले में गौर करने की गुजारिश की थी। साथ ही न्यायपालिका की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए यथोचित कदम उठाने का निर्देश दिया था।