उत्तराखंड

उत्तराखंड में 6350 जल स्रोत जल्द होंगे पुनर्जीवित

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देहरादून। उत्तराखंड में 6350 जल स्रोत जल्द पुनर्जीवित होंगे। इनके संरक्षण का लगभग 60 फीसदी काम पूरा हो चुका है। शुक्रवार को सचिवालय में आयोजित स्प्रिंग एंड रिवर रिजूविनेशन प्राधिकरण (सारा)की 11वीं बैठक में अफसरों ने यह जानकारी दी। सारा के तहत उत्तराखंड में गांवस्तर पर 5421 चाल, खाल, विकासखंडों में 929 क्रिटिकल सूख रहे जल स्रोत, एवं जिलास्तर पर 292 सहायक नदियों व धाराओं के संरक्षण का काम चल रहा है। इसके तहत 2.51 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी रिचार्ज करने का लक्ष्य रखा है, जिसके सापेक्ष अब तक 2.38 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी को रिचार्ज कर लिया गया है।
अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सभी जिलाधिकारियों को प्राकृतिक जल स्रोतों, नौलों-धारो और नदियों के संरक्षण एवं उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए बेहतर एवं प्रभावी कार्य योजनाएं बनाकर शासन को भेजने के निर्देश दिए। कहा कि सभी जिले एवं विभाग बेस्ट प्रैक्टिस अपनाते हुए ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जल स्रोतों के संरक्षण के लिए लघु एवं दीर्घ कालीन नीतियों पर कार्य करें।
उन्होंने कहा कि चिन्हित किए गए जल स्रोतों एवं नदियों का जिओ – हइड्रोलॉजिकल अध्ययन करवा कर उसकी नियमित समीक्षा भी की जाए। उन्होंने जिलाधिकारियों को विभिन्न स्थानों पर बनाए गए अमृत सरोवर के ग्राउंड वेरिफिकेशन कराने के निर्देश दिए। कहा कि सारा से संबंधित कार्य योजनाओं में किसी तरह की दिक्कत आने पर तुरंत शासन में संबंधित विभाग को अवगत कराया जाए।
सारा की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीना ग्रेवाल ने बताया कि 6350 जल स्रोतों के संरक्षण के तहत इन सभी स्थानों पर वृक्षारोपण, चेक डेम, चाल-खाल, संग्रहण क्षेत्र का चिन्हीकरण का 60 फीसदी काम हो चुका है, जल्द ही ये जल स्रोत पुनर्जीवित होंगे। कहा कि क्रिटिकल जल स्रोतों का रिचार्ज जोन क्षेत्रों का जियो- हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन कराया जाएगा। कहा का सारा द्वारा पेयजल निगम, जल संस्थान, सिंचाई, लघु सिंचाई, वन विभाग एवं ग्रामीण विकास विभाग के साथ मिलकर यह कार्य किया जा रहा है। इस दौरान अपर सचिव नमामि बंसल, अपर सचिव रणवीर सिंह चौहान मौजूद रहे जबकि जिलाधिकारी व अन्य अफसर वर्चुअल के जरिए शामिल हुए।

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