उत्तराखंड

कांग्रेस का पैनल केदारनाथ से पहुंचा सीधे दिल्ली, दून में मचा घमासान

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देहरादून। केदारनाथ उपचुनाव को कांग्रेस के प्रत्याशियों के पैनल तैयार कर उसे पीसीसी की बजाय सीधे दिल्ली भेजने पर घमासान मच गया है। वरिष्ठ पर्यवेक्षक गणेश गोदियाल ने प्रत्याशियों का पैनल सीधे प्रदेश प्रभारी सैलजा को भेज दिया है। इस पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने आपत्ति जताई। टिकट के अन्य दावेदारों ने भी पर्यवेक्षकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने रिपोर्ट तैयार प्रभारी सैलजा को भेजी। 13 दावेदारों को लेकर स्थानीय पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं की राय को प्रभारी को भेजा गया है। प्रभारी सैलजा को पैनल के सम्बन्ध में क्या रिपोर्ट भेजी गई है, प्रदेश कांग्रेस कमेटी को इसकी भनक तक नहीं है। रिपोर्ट सीधे केदारनाथ से देहरादून की बजाय दिल्ली पहुंची। कांग्रेस का पैनल केदारनाथ से सीधे दिल्ली पहुंचने से मंगलवार को देहरादून में घमासान की स्थिति रही। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष अपनी आपत्ति जता दी है। केदारनाथ तक यात्रा निकाल कर उन्होंने कांग्रेस के समर्थन में एक माहौल तैयार किया। इस यात्रा ने कांग्रेस के भीतर एक नई ऊर्जा का संचार किया। इसका लाभ कांग्रेस को मिला। ऐसे में पर्यवेक्षकों का पैनल को लेकर पीसीसी चीफ से बात तक न करने जैसे फैसलों पर अपनी आपत्ति से अवगत करा दिया गया है। दूसरी ओर वरिष्ठ पर्यवेक्षक गणेश गोदियाल ने कहा कि उन्हें पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी प्रदेश प्रभारी की ओर से दी गई। इसीलिए उन्होंने रिपोर्ट भी उन्हीं को सौंपी।
पैनल सीधे दिल्ली भेजना पीसीसी की अनदेखी
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता और केदारनाथ सीट से दावेदार शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि कुल 13 लोगों ने दावेदारी पेश की। उपचुनाव को भेजे गए पर्यवेक्षकों ने चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं अपनाई। पक्षपातपूर्ण तरीका अपनाया गया है। पार्टी की परंपरा रही है कि पर्यवेक्षक अपनी रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सौंपते हैं। उसके बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी से पैनल तय करके केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जाता है। पर्यवेक्षकों ने रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को न भेज, मनमाने तरीके से सीधे केंद्रीय नेतृत्व को भेजी है। पीसीसी को विश्वास में लिए बिना, जिस मनमाने तरीके से पर्यवेक्षकों की नियुक्ति हुई, वह भी बड़ी खामी रही। वहीं से पक्षपात की आशंकाओं ने जन्म लिया। अब यही आशंकाएं सच साबित हो रही हैं। कहा कि प्रत्याशी चयन में अगर पर्यवेक्षकों को अपनी ही मनमानी करनी है, तो अन्य लोगों से आवेदन क्यों लिए गए। उनसे निर्धारित शुल्क क्यों जमा करवाया गया। पीसीसी को विश्वास में न लेना, किसी षडयंत्र और मैच फिक्सिंग की ओर इशारा कर रहा है। केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष विरोध दर्ज कराया जाएगा। कहा कि पार्टी हित में उन्हें ये बात सार्वजनिक मंच पर रखनी पड़ रही है।

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