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1984 सिख दंगे में सज्जन कुमार की मुश्किल बढ़ी, कोर्ट ने स्वीकार की सीबीआई की याचिका

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नई दिल्ली , साल 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित हत्या और दंगा मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार और अन्य को बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई की अपील याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वीकार कर ली है।
न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह व न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने 20 सितंबर, 2023 के ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ जांच एजेंसी को अपील करने की अनुमति दी। साथ ही मामले को दिसंबर माह में विचार के लिए सूचीबद्ध कर दिया। अपील करने की अनुमति एक अदालत द्वारा किसी पक्ष को हाई कोर्ट में फैसले को चुनौती देने के लिए दी गई एक औपचारिक अनुमति है। अपील दायर करने की अनुमति देते हुए पीठ ने कहा कि अपील करने के लिए सीबीआई की अनुमति दी जानी चाहिए। साथ ही अदालत ने बरी करने के आदेश के खिलाफ मामले में पीडि़ता शीला कौर की अपील को भी स्वीकार करते हुए सज्जन कुमार समेत अन्य आरोपितों के खिलाफ 1984 के दंगों से संबंधित किसी भी अन्य अपील के अस्तित्व पर एक रिपोर्ट पेश करने का हाई कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिया।
20 सितंबर, 2023 को राउज एवेन्यू की विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने कुमार ने संदेह का लाभ देते हुए सज्जन कुमार समेत अन्य को बरी कर दिया था। अदालत ने कहा कि था कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे आरोपितों के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा। सज्जन कुमार के साथ ही ट्रायल कोर्ट ने दो अन्य आरोपितों वेद प्रकाश पियाल और ब्रह्मानंद गुप्ता को भी बरी कर दिया था। सिख विरोध दंगा के दौरान सुल्तानपुरी में सुरजीत सिंह की हत्या हुई थी। इस मामले में सज्जन कुमार पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत धर्म, नस्ल आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने, किसी अपराध के लिए उकसाना, हत्या और दंगा कराने की धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। 31 अक्टूबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षक द्वारा हत्या करने के बाद दिल्ली समेत देश के विभिन्न राज्यों में सिख विरोध दंगा फैल गया था, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई थी।

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