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दिहाड़ी बढ़ाने की राह में केंद्र सरकार

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नई दिल्ली। असंगठित सेक्टर में काम कर रहे श्रमिकों के लिए केंद्र सरकार न्यूनतम मजदूरी का एक फ्लोर लेवल तय करने जा रही है। श्रम मंत्रालय इसकी तैयारी में जुट गया है। सभी राज्यों के लिए इस फ्लोर लेवल के हिसाब से न्यूनतम मजदूरी देना अनिवार्य होगा। अभी राज्य केंद्र सरकार की न्यूनतम मजदूरी के फ्लोर लेवल को मानने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि श्रम संबंधी विषय संविधान की समवर्ती सूची में शामिल हैं। इसलिए केंद्र व राज्य दोनों ही अपनी-अपनी सुविधा के हिसाब से न्यूनतम मजदूरी तय करते हैं।
400 रुपये का वादा पूरा करेगी कांग्रेस?
केंद्र सरकार के इस कदम से लगभग 50 करोड़ असंगठित सेक्टर के श्रमिकों को लाभ मिल सकता है। क्योंकि भाजपा व गैर भाजपा शासित दोनों ही राज्य केंद्र के इस कदम का विरोध नहीं करेंगे। कांग्रेस ने तो अभी लोकसभा चुनाव के लिए जारी अपने घोषणा पत्र में न्यूनतम मजदूरी प्रतिदिन 400 रुपए करने का वादा किया था। श्रम मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक केंद्र इस मामले में कानून लाने जा रहा है ताकि कोई भी राज्य केंद्र की तरफ से तय न्यूनतम मजदूरी से कम मजदूरी किसी श्रमिक को नहीं दे सके। राज्य केंद्र की तरफ से तय न्यूनतम मजदूरी से अधिक मजदूरी देने के लिए स्वतंत्र होगा, लेकिन उससे कम नहीं दे सकेगा।

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