कोटद्वार-पौड़ी

वनाग्नि को रोकने लिए सीतलाखेत मॉडल, जनसहभागिता के साथ-साथ ली जायेगी ड्रोन की मदद : डीएम

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त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे से वनाग्नि पर अंकुश लगाये जाने की तैयारी
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : वनाग्नि की रोकथाम को लेकर एनआईसी कक्ष में जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान की अध्यक्षता में बैठक संपन्न हुई। जिला वनाग्नि प्रबंधन प्लान पर स्वीकृति प्रदान करते हुए जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वनाग्नि घटनाओं को रोकने के लिए जनसहभागिता, सीतालाखेत मॉडल व ड्रोन तकनीक का पूर्ण प्रवाह के साथ प्रयोग करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि वन व राजस्व विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी जंगलों को आग से बचाने के लिए ग्रामीणों से समन्वय स्थापित करते हुए जनसहभागिता सुनिश्चित करेंगे। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी कार्य योजना को सफल बनाने के लिए जन सहभागिता आवश्यक है। वनाग्नि रोकथाम प्लान के तहत मानव संसाधन, तकनीक, राहत सहायता के लिए वन विभाग द्वारा 31 करोड़ की धनराशि का पूर्वाआंकलन शासन को प्रेषित किया जायेगा।
गुरुवार को आयोजित वनाग्नि रोकथाम बैठक में जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि विगत वनाग्नि सीजन में वनाग्नि में शामिल अज्ञातों से सम्बंधित एफआईआर की इन्वेस्टिगेशन रिर्पोट शुक्रवार शाम तक जिला कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। डीएम ने वन विभाग के अधिकारियों को वनाग्नि की रोकथाम के लिए मानव संसाधन की सूची को अद्यतन रखने, निगरानी ड्रोन सहित अन्य तकनीकी उपकरणों को चालू अवस्था में रखने के साथ-साथ वनाग्नि की रोकथाम के लिए अन्य देशों में अपनाई जा रही आधुनिक तकनीकों पर अमल करने को कहा है। जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वनाग्नि की दृष्टि से अति संवेदनशल स्थानों/जोन को चिन्हित करते हुए ऐसी जगहों पर वनाग्नि की रोकथाम का पुख्ता प्लान तैयार करें। जिलाधिकारी ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि पौड़ी के सटे जंगलों में वनाग्नि की रोकथाम के लिए सीतलाखेत मॉडल को भी प्रायोगिक तौर पर अपनाया जायेगा। जिसमें जनसहभागिता के तौर पर महिला समूहों, सरपंच व ग्राम प्रहरियों को इससे जोड़ा जायेगा। वहीं वनाग्निी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए ड्रोन से निगरानी की जायेगी। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन क्षेत्रों में पीरुल धरातल पर अधिक मोटी परत बना चुका है ऐसे स्थानो पर बिखरे पिरुल को टीले/डिप्से के रुप में अलग-अलग स्थानों पर सकत्रित करवाना सुनिश्चित करें। बैठक में डीएफओ गढ़वाल स्वप्निल अनिरुद्ध, डीएफओ सीविल सोयम पवन नेगी, एसीएमओ डॉ. पारुल गोयल, डीडीएमओ दीपेश काला, एसडीओ आईशा बिष्ट आदि उपस्थित थे।

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