सुहागिन महिलाओं ने पति की दीर्घायु की कामना के लिए रखा करवाचौथ का व्रत
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कोटद्वार भाबर क्षेत्र में करवाचौथ का पर्व सुहागिन महिलाओं ने बुधवार को उपवास रखकर मनाया। इस दौरान माता रानी से अपने सुहाग की दीर्घायु की कामना की गई। रात्रि में चांद को देखने के बाद ही अन्न जल ग्रहण किया। सुहागिन महिलाओं ने अपने परंपरागत पोशाकों में सजधज कर पूजा-अर्चना की। महिलाओं में यह करवा चौथ का दिन अपने आप में एक बहुत बड़ा दिन माना जाता है। बुधवार को सुबह से ही इस पर्व को मनाने के लिए सुहागिन महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया।
कोटद्वार में बुधवार को सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। सुहागिनों ने समूह के रूप में चौथ की कहानियां सुनीं। साथ ही एक-दूसरे को सुहाग की निशानियां भेंट की। सुबह से ही निर्जल निराहार व्रत रखकर महिलाओं ने चौथमाता से पति के दीर्घायु की कामना की। दिन के समय भोग तैयार किया गया। इसके बाद नए चूड़े पहन कर, सोलह शृंगार किया। दिन ढलने के बाद घरों पर करवा चौथ की पूजा कर कथा कही। शाम को गणेश, शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करने के बाद रात को चंद्रदर्शन कर जल का अर्क दिया तथा पति के हाथों पानी पीकर व्रत खोला गया।
करवा चौथ को लेकर सुहागिनें विशेष तैयारी करती हैं। पूजा-पाठ व सजने-संवरने के लिए सामानों की खरीदारी करती हैं। फिर व्रत के दिन सजती हैं। करवाचौथ पर निर्जला व्रत होता है। वहीं, संध्या वेला में मां की पूजा करती हैं। रात में चांद को चलनी से देखने के बाद अघ्र्य देती हैं और जल ग्रहण करती हैं। इस प्रकार यह व्रत समाप्त होता है। संगीता देवी ने बताया कि मेरे लिए करवा चौथ का विशेष महत्व है। शादी के बाद से यह व्रत करती हूं। अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत करके बहुत ही अच्छा लगता है। इसको लेकर कुछ दिन पहले से ही हम काफी उत्साहित होते हैं। फिर इसकी तैयारी करते हैं। आम दिनों की दिनचर्या से अलग व्रत के दिन सजधज कर बहुत अच्छा लगता है।