सड़क पर बुरादा व पिरुल, वनाग्नि का खतरा

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दुगड्डा-गुमखाल के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनी है समस्या
हाईवे चौड़ीकरण के दौरान गिरे पिरुल से वनाग्निका खतरा
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : दुगड्डा से गुमखाल के मध्य राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण के लिए काटे गए पेड़ों का पिरूल व बुरादा हाईवे पर गिरा हुआ है। ऐसे में जहां दुर्घटनाओं का खतरा बना हुआ है वहीं, गर्मी के मौसम में वनाग्नि का भी खतरा बना हुआ है।
राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग की ओर से दुगड्डा से सतपुली के मध्य डबल लेन का कार्य करवाया जा रहा है। इसके लिए 290 करोड़ की धनराशि अवमुक्त की गई है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद प्रथम चरण में दुगड्डा से गुमखाल के मध्य 6,370 पेड़ों का कटान किया गया। राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे काटे गए इन पेड़ों को तो हटा दिया गया है। लेकिन, कटाने के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग पर गिरे पिरूल व बुरादे को हटाने की सुध नहीं ली जा रही है। हाईवे पर जगह-जगह बिखरा पिरूल व बुरादा वनाग्नि का कारण बन सकता है। जिससे वनसंपदा के साथ ही आसपास के गांव को भारी नुकसान हो सकता है। वहीं, हाईवे पर पड़ा पिरूल व बुरादा दोपहिया वाहन चालकों के लिए भी चुनौती बन रहा है। आए दिन दोपहिया वाहन पुरूल की चपेट में आने से रपट रहे हैं।

बड़ी जल्दी आग पकड़ता है पिरुल
पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाले चीड़ के पेड़ की पत्तियों को पिरुल कहा जाता है। यह पत्तियां सूखने के बाद बेहद ज्वलनशील होती हैं। पहाड़ों में आग लगने और फैलने के पीछे पिरूल ही सबसे बड़ा कारण है। गर्मी का मौसम शुरू होने से पूर्व वन विभाग राष्ट्रीय राजमार्ग व गांव के आसपास से पिरूल के निस्तारण को भी अभियान चलाता है। लेकिन, राष्ट्रीय राजमार्ग पर गिरा पिरूल सिस्टम को नजर नहीं आ रहा। जबकि, वाहनों से चलने वाले कई व्यक्ति जलती हुई बीड़ी, सिगरेट राष्ट्रीय राजमार्ग पर फेंक देते हैं।

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