पंकज पसबोला।
कोटद्वार। विकास की दौड़ में मनुष्य भले ही कितना आगे निकल जाए, पर जरूरत पड़ने पर आज भी एक मनुष्य दूसरे को अपना रक्त देने में हिचकिचाता है। रक्तदान से किसी को नया जीवन मिल सकता है, इसीलिए इसे महादान कहा जाता है।
रक्तदान के प्रति जागरूकता जिस स्तर पर लाई जाना चाहिए थी, उस स्तर पर न तो कोशिश हुई और न लोग जागरूक हुए। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 14 जून को ‘रक्तदान दिवस’ मनाया जाता है। वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सौ फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान की शुरूआत की, जिसमें 124 प्रमुख देशों को शामिल कर सभी देशों से स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने की अपील की गई। इस पहल का मुख्य उद्देश्य था कि किसी भी नागरिक को रक्त की आवश्यकता पड़ने पर उसे पैसे देकर रक्त न खरीदना पड़े और इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अब तक 49 देशों ने स्वैच्छिक रक्तदान को अमलीजामा पहनाया है। हालांकि कई देशों में अब भी रक्तदान के लिए पैसों का लेनदेन होता है, जिसमें भारत भी शामिल है। लेकिन फिर भी रक्तदान को लेकर विभिन्न संस्थाओं व व्यक्तिगत स्तर पर उठाए गए कदम भारत में स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने में कारगर साबित हुए हैं।
अब अगर बात कोटद्वार शहर की करें तो कोटद्वार शहर रक्तदान को लेकर काफी जागरूक है। यहां पर 1500 से अधिक रक्तदाता स्वैच्छिक एवं नियमित रक्तदान करते है। यहां के रक्तदाता हर समय रक्तदान करने को तैयार रहते है। सामाजिक कार्यकर्ता दलजीत सिंह ने बताया कि वह रक्तदान को जागरूकता को लेकर वर्ष 2006 से कार्य कर रहे है। उन्होंने बताया कि शुरूआत में इसमें बहुत दिक्कतें आई। क्योंकि लोग रक्तदान को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां थी। धीरे-धीरे लोगों में रक्तदान के प्रति जागरूकता आई, लेकिन अभी भी कई लोग ऐसे जो रक्तदान करने से घबराते है। दलजीर्त ंसह ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से व्वाटसअप के पांच ग्रुप के माध्यम से करीब 1500 लोगों से जुड़े हुए है। जरूरत पड़ने पर जो हर समय रक्तदान करने को तैयार रहते है। उन्होंने बताया कि वह हरिद्वार, देहरादून, रूड़की, ऋषिकेश के अलावा उत्तर भारत के कई शहरों में व्वाटसअप ग्रुप से जुड़े है। इन ग्रुप के माध्यम से कोटद्वार से बाहर रैफर होने वाले मरीजों की मदद भी कर पाते है।
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रक्तदान करने के फायदे
सामाजिक कार्यकर्ता दलजीत सिंह ने बताया कि रक्तदान से हार्ट अटैक कि संभावनाएं कम होती हैं, क्योंकि रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, इससे खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है और हार्ट अटैक का खतरा टल जाता है। खून का दान करने से वजन कम करने में मदद मिलती है, इसीलिए 18 से 65 वर्ष का कोई भी स्वस्थ्य मनुष्य साल में 4 बार रक्तदान कर सकता है। रक्तदान से शरीर में एनर्जी आती है, क्योंकि रक्तदान के बाद नए ब्लड सेल्स बनते हैं, जिससे शरीर में तंदरूस्ती आती है, खून डोनेट करने से लिवर से जुड़ी समस्याओं में राहत मिलती है, शरीर में ज्यादा आइरन की मात्रा लिवर पर दवाब डालती है और रक्तदान से आइरन की मात्रा बैलेंस हो जाती है, आइरन की मात्रा को बैलेंस करने से लिवर हेल्दी बनता है और कैंसर का खतरा भी कम हो जाता है।
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रक्तदान से पहले इन बातों का रखें ध्यान
सामाजिक कार्यकर्ता दलजीत सिंह ने बताया कि रक्तदान 18 साल की उम्र के बाद ही करें। रक्तदाता का वजन 45 से कम ना हो, खून देने से 24 घंटे पहले से ही शराब, धूम्रपान और तम्बाकू का सेवन ना करें, खुद की मेडिकल जांच के बाद ही रक्तदान करें और डॉक्टर को सुनिश्चित करें कि आपको कोई बीमारी ना हो, खून के दान करने से पहले अच्छी नींद लें। उन्होंने कहा कि रक्तदान से किसी को नया जीवन मिल सकता है, इसीलिए इसे महादान कहा जाता है।
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स्वस्थ्य व्यक्ति तीन माह में कर सकता है रक्तदान
रक्तदान सबसे अच्छा गिफ्ट है जो किसी को नई जिंदगी प्रदान करता है। हमें जीवन में रक्तदान करना चाहिए ताकि जरूरतमंद को नया जीवन मिल सकें। रक्तदान से शरीर में रक्त की कोई कमी नहीं होती बल्कि हमारा शरीर स्वस्थ होता है। रक्तदान से शरीर का अतिरिक्त रक्त निकलता है और उसके बदले नया रक्त शीघ्र बन जाता है। रक्तदान करने से कभी भी कमजोरी नहीं आती है तथा एक स्वस्थ व्यक्ति हर तीन माह बाद रक्तदान कर सकता है।