निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारियों का प्रदर्शन
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आह्वान पर राष्ट्रीयकृत बैंकों के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने बैंकों के निजीकरण का विरोध किया। कर्मचारियों ने कहा कि केन्द्र सरकार ने विगत 1 फरवरी को बजट सत्र में दो राष्ट्रीयकृत बैंकों को निजीकृत करने की सिफारिश की, जिससे सभी बैंक कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। इस संबंध में शीर्ष नेतृत्व के साथ सभी बैंकों के यूनियन पदाधिकारियों की आगामी 9 फरवरी को हैदराबाद में बैठक रखी गई है। बैठक में आगे की रणनीति तय की जायेगी।
गुरूवार को सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों के कर्मचारी बदरीनाथ मार्ग स्थित पंजाब नेशनल बैंक के बाहर एकत्रित हुए। कर्मचारियों ने केन्द्र सरकार के बंैकों के निजीकरण का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। साथ ही केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस अवसर पर यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के नगर संयोजक डीपीएस बिष्ट ने कहा कि वह बैंकों के निजीकरण का पूरी तरह से विरोध करता है, क्योंकि यह हमारी अर्थव्यवस्था के हित में नहीं और न ही हमारे देश के राजनीतिक परिदृश्य के अनुसार है। देश के विकास में राष्ट्रीयकृत बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सरकार को निजीकरण की योजनाओं को छोड़ देना चाहिए और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र को समाप्त कर निजीकरण कर उन्हें कारपोरेट सेक्टर को बेचना चाहती है। प्रदर्शन करने वालों में उत्तरांचल बैक एसोसिएशन के जिला मंत्री बीएस रावत, ट्रेड यूनियन समन्वय समिति के अध्यक्ष जेपी बहुखण्डी सहित हरजीत सिंह, रमेश नेगी, रोहित नेगी, उमेश कुमार, सविता कोटनाला, कुलदीप गुसांई, डीएस असवाल, मेघा, सुरेन्द्र सिंह, धर्मपाल नेगी, सुरेन्द्र लाल आर्य, अरविन्द, सुनील रावत, अरविन्द नेगी, रचित रावत आदि शामिल थे।