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राज्य आंदोलनकारियों ने सड़कों पर उतरने की की चेतावनी

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देहरादून। लंबित मांगों पर कार्रवाई नहीं होने से राज्य आंदोलनकारी बेहद नाराज हैं। इस संबंध में वह जल्द ही सांसद और मंत्रियों से भी मुलाकात करेंगे। उनका कहना है कि अगर मांग पर कार्रवाई नहीं होती है तो वे सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हो जाएंगे। उनका कहना है कि बीते चार सालों में उनकी मांग पर कोई भी आश्वासन नहीं दिया गया है। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती ने कहा कि लंबे समय से सरकार के समक्ष मांग रख रहे हैं, लेकिन अभी तक आंदोलनकारियों से सरकार की वार्ता नहीं हुई। सरकार की अनदेखी के चलते आंदोलनकारी नाराज हैं। कहा कि बीते 30 अक्टूबर को एकजुट होकर सांकेतिक धरना भी दिया गया था। वहीं, चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने सरकार पर आंदोलनकारियों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि बीते चार वर्षों में उनकी मांग पर कोई भी आश्वासन नहीं दिया गया।
संयुक्त संगठन में यह समिति शामिल: संयुक्त संगठन के धरने में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच, उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति,उत्तराखंड चिह्नित राज्य आंदोलनकारी समिति, चिह्नित राज्य आंदोलनकारी समिति, उत्तराखंड चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संगठन, उत्तराखंड चिह्नित आंदोलनकारी मंच से जुड़े आंदोलनकारी शामिल हैं।
ये हैं मुख्य मांग
मुजफ्फरनगर खटीमा मसूरी गोलीकांड के आरोपितों को सजा हो।
राज्य आंदोलनकारियों का 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण शिथिलीकरण एक्ट लागू हो।
चार वर्षों से लंबित चिह्नीकरण प्रक्रिया के साथ ही समान पेंशन, राज्य आंदोलनकारी सम्मान परिषद का गठन किया जाए।
शहीद परिवारों और राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों की पेंशन का शासनादेश फिर से लागू हो।
स्थायी राजधानी गैरसैंण घोषित की जाए।
समूह ग भर्ती के लिए रोजगार कार्यालय पंजीकरण में स्थायी निवास प्रमाण पत्र को अनिवार्य पुनº बहाल किया जाए।
राज्य में सशक्त लोक आयुक्त का गठन किया जाए।
भू कानून वापस लिया जाए।
राज्य आंदोलन के शहीद स्मारकों का संरक्षण व निर्माण किया जाए।

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