आशा फैसीलिटेटर का सरकार के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना शुरू
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। समय पर कार्य का भुगतान करने सहित तीन सूत्रीय मांगों को लेकर आशा फैसीलिटेटर एवं कार्यकत्र्ता संगठन ने सरकार के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। कार्यकत्र्ताओं ने जल्द मांगें पूरी नहीं होने पर कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है। कहा कि आशा कार्यकत्र्ताओं की अनदेखी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सोमवार को दुगड्डा ब्लॉक की आशा फैसीलिटेटर एवं कार्यकर्ता संगठन से जुड़ी आशाएं तहसील परिसर में पहुंची। यहां सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आशा कार्यकत्र्ता ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया। आशा कार्यकत्र्ताओं ने कहा कि कोरोना काल में आशा कार्यकत्र्ताओं खुद की चिंता छोड़ समाज सेवा में जुटी हुई थी। कार्यकत्र्ताओं ने गांव-गांव व घर-घर जाकर कोरोना मरीजों की जांच की। बावजूद इसके सरकार आशाओं की अनदेखी कर रही है।
आशाओं ने एक स्वर में आशा फैसीलिटेटरों को नियुक्ति पत्र देने व उन्हें संविदा कर्मचारी घोषित करने की मांग उठाई। कहा कि सरकार की ओर से उन्हें अतिरिक्त कार्य का समय पर भी भुगतान नहीं किया जाता। ऐसे में आशाओं को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जब तक उनकी मांगों का निराकरण नहीं होगा वह धरने पर डटे रहेंगी। इस मौके पर पूनम गुसाईं, पदमा नेगी, विनीता देवी, रेखा कंडवाल, गंगोत्री देवी, प्रमिला देवी, मंजू काला, पुष्पा देवी, हेमलता नेगी आदि मौजूद रहे।
निजी विद्यालय नहीं खुले, जो खुले शारिरिक दूरी तार-तार
जयन्त प्रतिनिधि
कोटद्वार। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए शारीरिक दूरी जरूरी है। लेकिन, सोमवार सुबह जैसे ही क्षेत्र के इंटरमीडिएट विद्यालय खुले, छात्र अपने दोस्तों को देख दूरी न बना पाए। विद्यालय परिसर में छात्र सामान्य दिनों की तरह एक दूसरे से मिलते हुए नजर आए। वहीं, क्षेत्र में कई निजी विद्यालय सोमवार को नहीं खुले।
शासन के निर्देश के बाद सोमवार को कक्षा नौ से 12वीं तक के छात्रों के लिए विद्यालय खोले गए। विद्यालय खुलने से पूर्व सभी कक्षाओं को सैनिटाइज किया गया। छात्रों के लिए विद्यालय के प्रवेश द्वार पर सैनिटाइजर व मास्क की व्यवस्था भी करवाई गई। परिसर में प्रवेश करने से पूर्व शिक्षक सभी छात्रों को कोरोना गाइडलाइन के बारे में भी बताते रहे, लेकिन जैसे ही कक्षाएं समाप्त हुई छात्र गाइडलाइन का पालन करना ही भूल गए।
अधिकांश विद्यालयों में छात्र एक दूसरे के कंधों में हाथ डालते हुए घूमते रहे। कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए कई अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से परहेज कर रहे हैं। नतीजा दूसरी लहर के बाद खुले विद्यालयों में पहले दिन केवल पचास प्रतिशत ही छात्र पहुंचे।