उत्तराखंड

आज मनाया जाएगा मौहर्रम

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गुलामाने मुस्तफा की टीम ने तैयार किया भव्य ताजिया
हरिद्वार। पैगम्बर हजरत मौहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन की शहादत गम में मौहर्रम मनाया जाता है। उपनगरी ज्वालापुर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में ताजियों की साजसज्जा व भव्य रूप दिया जा रहा है। लेकिन केंद्र एवं राज्य के दिशा निर्देशों के चलते इस वर्ष ताजिए सार्वजनिक स्थलों पर अकीदतमंदों के दर्शनों के लिए नहीं रखे जाएंगे। कोरोना नियमों का पालन करने के चलते आंशिक रूप से मौहर्रम की तैयारियां भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में की जा रही हैं। गुलामाने मुस्तफा सोसायटी के अध्यक्ष सागर अंसारी के संयोजन में ताजिये को भव्य रूप प्रदान करते हुए पूरी टीम ने एक माह में ताजिए को तैयार किया। सागर अंसारी ने बताया कि यूटयूब से आईडिया लेकर ताजिए को तैयार किया गया है। रातदिन कड़ी मेहनत व स्वयं के पैसे से ताजिए को तैयार किया गया। आफताब ने बताया कि कोरोना काल के चलते प्रशासन द्वारा जारी नियमों के तहत ही ताजियो को नियत स्थान पर रखा जाएगा। किसी भी प्रकार का कोई उल्लंघन नहीं किया जाएगा। एक महीने में तीन कुंतल वजन के ताजिए को तैयार किया गया है। जिसमें ताजिए को भव्य रूप प्रदान करने के लिए डिको पेंट, घूमने के लिए मोटर, लकड़ी एवं बिजली की रंगबिरंगी लाइटों से सजावट की गयी है। खलीफा हाजी शहाबुद्दीन अंसारी ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने इंसानियत की खातिर जान गंवायी। उन्होंने सच्चाई पर चलकर इस्लाम को संदेश दिया। उनकी शहादत को हमेशा ही याद किया जाएगा। प्रशासन द्वारा इस वर्ष ताजियो को सार्वजनिक स्थानों पर निकालने की अनुमति नहीं दी गयी है। जबकि हर वर्ष लाठी डंडे, तलवारबाजी युद्ध कला को प्रदर्शित किया जाता था। लेकिन इस बार कोरोना के चलते इस तरह के खेल प्रदर्शित नहीं किए जाएंगे। गुलामाने मुस्तफा सोसायटी के फरमान अंसारी, सोनू अंसारी, आफताब, सोहेब अंसारी, मुनीर अंसारी, अहसान साबरी, दानिश ने भव्य रूप से ताजिए को तैयार किया। उनकी पूरी टीम को उन्होंने ताजिए के तैयार करने पर शाबाशी दी।

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