उत्तराखंड

बीमारी की चपेट में आने से 250 बकरियों की मौत

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जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी। थलीसैंण ब्लाक में विभिन्न गांवों के पशुपालकों को प्रदेश के उच्च शिक्षामंत्री के हाथों मिली 250 बकरियों के संक्रामक बीमारी की चपेट में आने से मौत हो चुकी है। इससे पशुपालकों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। वहीं] सरकारी योजना के तहत बकरियों का आवंटन करने वाली संस्था एनसीडीसी और पशुपालन विभाग बीमारी के नियंत्रण का दावा कर रही है। थलीसैंण ब्लाक के मुसेटी] कपरोली] कफल्ड] हस्यूंड़ी आदि गांवों में कई दिनों से पशुपालक परेशान हैं। पशुपालकों का कहना है कि प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री के हाथों आजीविका विकास के लिए बकरियां मिली थी। लेकिन यह योजना अब धीरे-धीरे पशुपालकों को बेरोजगार करने लगी है। मुसेटी गांव के पशुपालक दिनेश कुमार और रमेश भंडारी ने बताया कि सरकार ने एनसीडीसी ळ्राष्ट्रीय सहकारी विकास निगमव् के तहत क्षेत्र के पशुपालकों को 11 बकरियां आजीविका विकास के लिए प्रदान किया। प्रदेश के सहकारिता मंत्री ने स्वयं ग्रामीणों को यह बकरियों आवंटित की। लेकिन यह योजना पशुपालकों की आजीविका के लिए अब खतरा बन गया है। योजना के तहत बाहरी प्रदेशों से बकरियां लाकर ग्रामीण पशुपालकों को दी जा रही है] इन संक्रमित बकरियों से पशुपालकों की सभी बकरियां मर रही हैं। कहा कि एनसीडीसी के साथ ही पशुपालन विभाग से बकरियों में फैल रहे संक्रमण को लेकर जानकारी दी गई] लेकिन ग्रामीण पशुपालकों को कोई लाभ नहीं हुआ। बताया कि क्षेत्र के विभिन्न गांवों में पशुपालकों की 250 बकरियां मर चुकी हैं। इधर] एनसीडीसी के फील्ड वेक्टेरियन डा-जगत ने बताया कि शिकायत मिलने पर लगातार क्षेत्र में बीमार बकरियों का उपचार किया जा रहा है। इनमें अधिकत्तर बकरियों के बच्चे हैं] जिन्हें सर्दी-जुकाम की शिकायत हो रही है। संक्रामक रोग को लेकर कोई पुष्टि नहीं है। वहीं] मुख्य पशु चिकित्साधिकारी पौड़ी डा-एसके बत्र्वाल ने बताया कि थलीसैंण क्षेत्र में पशुपालकों की बकरियों में पीपीआर नामक संक्रामक बीमारी के पाए जाने का मामला सामने आया है। क्षेत्र में पशुपालकों को हानि हुई है। बीमारी के नियंत्रण को लेकर विभाग लगातार कार्य कर रहा है। क्षेत्र का जल्द निरीक्षण भी किया जाएगा।

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