किसानों को मिलकर आत्मनिर्भर बनाएंगे केंद्र व राज्य, तैयार हो रहा किसानों का डाटाबेस
नई दिल्ली, एजेंसी। आत्मनिर्भर भारत के लिए किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में केंद्र व राज्य सरकारें संयुक्त रुप से काम करने पर सहमत हैं। षि को आधुनिक बनाने के लिए जहां डिजिटल प्रणाली तैयार की जा रही है, जिससे किसानों का डाटाबेस बनेगा। मुख्यमंत्रियों के साथ सोमवार को हुई बैठक में रखे गए पांचों प्रमुख विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। षि क्षेत्र में सरकारी व निजी निवेश बढ़ाने, फसलों की उत्पादकता और वैल्यू चेन को मजबूत बनाने के साथ घरेलू व वैश्विक बाजार में उपज के उचित मूल्य दिलाने जैसे मुद्दों पर केंद्र की नीतियों पर सभी राज्यों ने आगे बढ़ने की हामी भरी है। इस बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और वाणिज्य व खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने हिस्सा लिया।
इस दौरान ज्यादातर राज्यों ने केंद्र के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई। महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों ने केंद्र की योजनाओं के साथ अपनी ओर से संचालित योजनाओं का भी ब्योरा दिया। एग्री इन्फ्रा फंड का उपयोग करने वालों को केंद्र सरकार ब्याज दर में तीन फीसद की रियायत दे रही है, वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने तीन फीसद अतिरिक्त रियायत देने की घोषणा की है। राज्य सरकार की ओर से मंडियों के विकास के लिए पूंजीगत मदद भी दी जा रही है। डिजिटल एग्रीकल्चर की योजना में तेजी से किसानों का डाटाबेस तैयार किया जा रहा है।
अब तक साढ़े पांच करोड़ किसानों का डाटा तैयार है, जिसे दिसंबर तक आठ करोड़ से अधिक कर लिया जाएगा। इसे सभी राज्यों, केंद्रीय विभागों व विभिन्न संस्थानों को उपलब्ध कराया जाएगा। डाटाबेस से सरकार को मूल्यांकन और आकलन करने में सहूलियत होगी और पूरे सिस्टम में पारदर्शिता आएगी। डिजिटल प्रणाली की वजह से ही 11़37 करोड़ किसानों के खातों में सीधे 1़58 लाख करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं।
बैठक के दौरान षि मंत्रालय की प्रस्तुति में बताया गया कि कोविड-19 के दौरान ही 2़37 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया गया। इसके चलते इन किसानों को 2़44 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी मुहैया कराई गई। आंकड़ों के अनुसार बिहार के 83 लाख किसानों को पीएम-किसान का लाभ मिला है, लेकिन वहां के मात्र 1़77 लाख किसानों के पास ही किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) है। 81 लाख किसान अभी भी इस सुविधा से दूर है। इसी तरह उत्तर प्रदेश के 2़5 करोड़ किसानों को पीएम-किसान का लाभ मिला, लेकिन राज्य के केवल 1़65 करोड़ किसानों के पास ही किसान क्रेडिट कार्ड है। यानी इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने जोर देकर कहा कि केंद्र के साथ मिलकर किसानों को क्रेडिट कार्ड देने की योजना को आगे बढ़ाएंगे।