उत्तराखंड नव निर्माण सेना ने दिया धरना
कण्वआश्रम को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने की मांग
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कण्वाश्रम को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने की मांग को लेकर उत्तराखंड निर्वाण सेना ने मालिनी तट पर धरन दिया। निर्वाण सेना ने केंद्र व प्रदेश सरकार से कण्वाश्रम के बेहतर विकास की मांग की है।
शनिवार को धरना स्थल पर आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए उत्तराखंड नव निर्माण सेना के अध्यक्ष डॉक्टर शक्तिशैल कपरवाण ने कहा की कण्व आश्रम राजा भरत की जन्मस्थली है, इन्हीं के नाम पर हमारे देश का नाम भरत पड़ा, लेकिन आज सरकार इस पवित्र भूमि को अनदेखा कर रही है। राष्ट्रीय एकता अखंडता का संदेश देने वाला पौराणिक ऐतिहासिक स्थान आज भी उपेक्षित है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को कण्व आश्रम को राष्ट्रीय तीर्थ बनाने से जहां राष्ट्रीयता को शक्ति मिलेगी वहीं, दूसरी ओर भाबर व कोटद्वार का विकास होगा। कण्व आश्रम के विकास से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। कार्यक्रम का संचालन करते हुए गोविंद डंडरियाल ने कहा कि 2013 से लंबित मोटर नगर का निर्माण की जांच होनी चाहिए और जिन अधिकारियों के कारण मोटर नगर नहीं बन पा रहा है, उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोटर नगर के निर्माण से कोटद्वार के विकास की प्रबल संभावनाएं हैं। उन्होनें सरकार से शीघ्र मोटर नगर निर्माण की मांग की । पितृ शरण जोशी ने कहा कि राज्य सरकार को राज्य आंदोलनकारियों की विकास की अवधारणा पर कार्य करना चहिए। महेश चंद्र केष्टवाल ने मांग की कि कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज का निर्माण शीघ्र होना चाहिए। प्रवेश चंद्र नवानी ने कहा कि बेरोजगारों को रोजगार देने हेतु उद्योगों में अधिक उत्पादन का कार्य किया जाना चाहिए । प्रभाकर ध्यानी ने उत्तराखंड नवनिर्माण सेना के संगठन को मजबूत बनाने के लिए योजना बनाने का प्रस्ताव रखा। संगठन को मजबूत बनाने के उद्देश्य से वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी पितृ शरण जोशी को महानगर कोटद्वार उत्तराखंड नवनिर्माण सेना का संयोजक चुना गया। साथ ही शीघ्र कार्यकारिणी गठन का प्रस्ताव पारित किया गया। दर्शन सिंह नेगी, दीपक कुकरेती , महेश चंद्र, प्रभाकर ध्यानी ,जगमोहन राणा, बलबीर सिंह रावत, इंदू नौटियाल बृजमोहन काला, सतेंद्र नेगी प्रकाश बमराडा ,द्वारिका काला, नंदकिशोर थपलियाल, विमल डांडरियाल , बनवारी सिंह ,विनोद कुमार ,विपिन जोशी , कैलाश पांडे आदि सम्मिलित थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व सैनिक जगमोहन राणा ने की व संचालन गोविंद डंडरियाल ने किया।