विश्व जल दिवस : मैदानी क्षेत्रों की तुलना में पहाड़ का पानी है ‘अमृत’
-नैनीडांडा, रिखणीखाल के स्रोतों में मिलता है सबसे शुद्ध पानी
सुनील भट्ट
कोटद्वार : पानी की शुद्धता को लेकर आमतौर पर लोग लापरवाह बने रहते हैं। यहां पानी की शुद्धता का अर्थ सिर्फ उसके साफ दिखने से नहीं है, बल्कि विज्ञानिक दृष्टिकोण से भी शुद्ध होने से है। लोग कभी भी इस बात की परवाह नहीं करते हैं कि उनके पानी का टीडीएस (टोटल डिजोल्वड सोलिड्स) कितना है या उसका पीएच लेवल क्या है। इसके अलावा इस ओर भी गंभीरता से विचार नहीं करते हैं कि उनके पानी में कहीं कोई हानिकारक तत्व तो शामिल नहीं है। जिसका परिणाम यह होता है कि लोग धीरे-धीरे बीमार पड़ने लगते हैं या फिर उनकी इम्युनिटी कमजोर होती जाती है। जल संस्थान कोटद्वार डिविजन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों की बात करें तो सबसे शुद्ध पानी नैनीडांडा, रिखणीखाल, जयहरीखाल क्षेत्र का है। पानी की शुद्धता के मामले में कोटद्वार भी उक्त क्षेत्रों से हार जाता है।
आमतौर पर हम घर के नल पर आने वाले पानी का इस्तेमाल पीने के लिए भी करते हैं। हालांकि, यह कोई चिंताजनक बात नहीं है, लेकिन इस पानी की गुणवत्ता को लेकर लापरवाही जरूर चिंता बढ़ा सकती है। कई लोग तो यह जानते ही नहीं हैं कि पानी की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए पानी का टीडीएस लेवल या पीएच लेवल क्या होता है। जबकि पानी की शुद्धता व गुणवत्ता को लेकर जागरूक होना आज के समय की मांग है। क्योंकि तरह-तरह की बीमारियां आज हमारे बीच पनप रही हैं और अगर शुद्ध पानी नहीं मिलता है तो यह बीमारियां और घातक रूप ले सकती हैं। जहां एक ओर शहरों में पानी की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है, वहीं पहाड़ों में आज भी पानी अमृत के समान है। जो कि एक बड़ी राहत देता है। सब डिविजन वाटर क्वालिटी टेस्टिंग एंड मॉनिटरिंग लैबोरेटरी कोटद्वार के अनुसार उनके डिविजन के अंतर्गत रिखणीखाल, जयहरीखाल, नैनीडांडा, दुगड्डा ब्लॉक आते हैं। जहां के पानी की गुणवत्ता वह समय-समय पर चैक करते हैं। उक्त लैबोरेटरी के अनुसार जांच में पता चला है कि सबसे शुद्ध पानी नैनीडांडा व रिखणीखाल क्षेत्र का है। जहां टीडीएस लेवल 65 से 100 के बीच रहता है। वहीं जयहरीखाल क्षेत्र का पानी भी मानकों पर लगभग खरा ही उतरता है। यहां टीडीएस लेवल 90 से 110 के करीब रहता है। हालांकि टीडीएस के मामले में दुगड्डा ब्लॉक के मैदानी क्षेत्रों के पानी की बात करें तो यह पहाड़ों के पानी को टक्कर नहीं दे पाता है। यहां टीडीएस लेवल आमतौर पर 350 से 400 के करीब रहता है। मानकों के अनुसार अधिकतम 500 और न्यूनतम 50 टीडीएस का पानी पीने योग्य होता है। हालांकि, कोटद्वार का पानी मानकों पर खरा तो उतरता है, लेकिन पहाड़ों के पानी को टक्कर नहीं दे पाता है।
पानी में किन चीजों की जांच करना है जरूरी
पानी की शुद्धता को परखने के लिए पीएच लेवल, टर्बिडिटी, क्लोरीन, नाईट्रेट, टीडीएस, फ्लोराइड, सल्फेट, टोटल हार्डनेस, कैल्सियम, मैग्निसियम, आयरन आदि के साथ बैक्टीरियोलोजिकल की जांच की जाती है। इनमें से एक तत्व भी यदि मानकों पर खरा नहीं उतरता है तो पानी को अशुद्ध माना जाता है और उसे रिजेक्ट कर दिया जाता है। सब डिविजन वाटर क्वालिटी टेस्टिंग एंड मॉनिटरिंग लैबोरेटरी कोटद्वार इन्हीं सब तत्वों की जांच करता है और उसके बाद यह निष्कर्ष निकालता है कि पानी पीने योग्य है या नहीं।
आरओ का पानी है स्वास्थ्य के लिए हानिकारक : अधिशासी अभियंता
जल संस्थान के अधिशासी अभियंता एसके उपाध्याय का कहना है कि लोग आमतौर पर शुद्ध पानी के लिए आरओ (रिवर्स ओस्मोसिस) का इस्तेमाल करते हैं, जबकि आरओ का पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उनके अनुसार आरओ के पानी का टीडीएस 0 से 10 होता है, जो कि न के बराबर है। जो लोग लगातार आरओ के पानी का इस्तेमाल करते हैं उनकी इम्युनिटी धीरे-धीरे कमजोर होती चली जाती है और वह जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने लगते हैं। इसके मुकाबले जो लोग नल का पानी पीते हैं वह कम बीमार पड़ते हैं। अधिशासी अभियंता एसके उपाध्याय का कहना है कि वह खुद भी नल के पानी को उबालकर पीते हैं। उनका कहना है कि कोटद्वार का पानी शुद्धता के लिहाज से मानकों पर पूरी तरह से खरा उतरता है।