संत समाज के सानिध्य में गंगा में प्रवाहित की गयी माता वैष्णों देवी मंदिर के मुख्य पुजारी दिवंगत अमीरचंद की अस्थियां
संत स्वरूप व्यक्ति थे दिवंगत अमीरचंद-आचार्य स्वामी कैलाशानंद
हरिद्वार। जम्मू कश्मीर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर ट्रस्ट के मुख्य पुजारी दिवंगत अमीरचंद की अस्थियां कनखल स्थित सती घाट पर संत समाज के सानिध्य में पूर्ण विधि-विधान व वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गंगा में प्रवाहित की गयी। अमीरचंद परिवार के पुरोहित रामकुमार मिश्रा ने अस्थि प्रवाह संपन्न कराया। दिवंगत अमीरचंद के भाई नरेश पुजारी, दर्शन पुजारी व चिंटू पुजारी अस्थियां लेकर हरिद्वार आए थे। अस्थि प्रवाह के उपरांत संतों ने उन्हें भावभीनी श्रद्घांजलि अर्पित की। दिवंगत अमीरचंद को श्रद्घांजलि देते हुए निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि साकेतवासी अमीरचंद संत स्वरूप व्यक्ति थे। जिन्होंने एक पुजारी के रूप में अपना संपूर्ण जीवन माता वैष्णो देवी के चरणों में समर्पित किया और निरंतर माता वैष्णो देवी ट्रस्ट द्वारा जारी सेवा प्रकल्पों में बढ़ोतरी कर मंदिर के जीर्णोद्घार के लिए जीवन पर्यंत प्रयासरत रहे। ऐसी महान आत्मा को प्रभु अपने श्री चरणों में स्थान दे और माता वैष्णो देवी का उनके संपूर्ण परिवार पर आशीर्वाद बना रहे। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद एवं स्वामीाषिश्वरानंद महाराज ने कहा कि दिवंगत अमीरचंद पुजारी ने माता वैष्णो देवी मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में सेवाएं देते हुए सनातन धर्म और भारतीय संस्ति का प्रचार-प्रसार तो किया ही साथ ही एक समाजसेवी के रूप में राष्ट्र निर्माण में भी अपना सहयोग प्रदान किया। सेवा के क्षेत्र में उनका योगदान युवाओं के लिए सदैव प्रेरणादायी रहेगा। बाबा हठयोगी एवं महंत दुर्गादास महाराज ने कहा कि माता वैष्णो देवी मंदिर विश्व दर्शनीय एवं विश्व वंदनीय है। करोड़ों श्रद्घालु भक्त वैष्णों देवी मंदिर से जुड़े हैं। श्रद्घालु भक्तों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए पुजारी अमीरचंद ने वैष्णो देवी मंदिर में जो विकास कार्य किए वह अकल्पनीय है। आज वैष्णो देवी मंदिर सुरक्षा, साफ सफाई और व्यवस्था की दृष्टि से संपूर्ण भारत में एक अलग महत्व रखता है। पुजारी अमीरचंद का जीवन संत महापुरुषों की सेवा और माता की वंदना में व्यतीत हुआ। ऐसे महान पुरुष समाज को विरले ही प्राप्त होते हैं। श्रद्घा सुमन अर्पित करने वालों में महंत दुर्गादास, महंत प्रह्लाद दास, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश लाल, जम्मू कश्मीर से आए महंत रामेश्वर दास, महंत रघुवीर दास, महंत सूरज दास, महंत निर्मल दास, अवंतिकानंद ब्रह्मचारी, ष्णानंद ब्रह्मचारी, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महंत अरुण दास, स्वामी केशवानंद, महंत शिवानंद, भक्त दुर्गादास सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।