श्रावण के पहले सोमवार को मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। श्रावण मास के प्रथम सोमवार को शिव भक्तों ने भोले का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की। सुबह से ही मंदिर में लोगों की भीड़ रही। लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जलाभिषेक किया। श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, धतूरा व जलाभिषेक कर भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की।
पुराना सिद्धबली मार्ग स्थित शिव मंदिर, सिद्धबली मंदिर, घराट, मनकामेश्वर मंदिर कुंभीचौड़, विशनपुर स्थित शिवालय, दुर्गापुरी शिव मंदिर समेत अन्य शिवालयों में सावन के पहले सोमवार को आस्था का शैलाव उमड़ पड़ा। शिव भक्तों ने शिवालयों में भगवान शिव की मूर्ति व शिवलिंग पर पुष्पजल, वेलपत्र व दूध चढ़ाया और सुख व शांति की प्रार्थना की। मंदिरों में दिनभर भजन-कीर्तन चलते रहे। श्रद्घालु उपवास रख शिव भक्ति में डूबे रहे और दिनभर शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहा। श्रावण मास के पहले सोमवार होने के कारण सुबह से ही शिवालयों समेत अन्य मंदिरों में श्रद्घालुओं की लम्बी कतारें देखी गई। क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों में भजन कीर्तन कार्यक्रम देर शाम तक जारी रहे। सावन का महीना बहुत शुभ महीना होता है। इस पूरे माह भगवान शिव की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि जो भी इस माह में भगवान शिव की पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सावन के पहले सोमवार को शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। सावन का महीना काफी पवित्र महीना माना जाता है। साथ ही सावन का महीना प्रकृति के सौंदर्य का भी महीना होता है। सावन के महीने में चारों तरफ हरियाली छा जाती है। हरा रंग सौभाग्य का रंग होता है। सावन का महीना खुद को प्रकृति से जोड़ने का महीना होता है। जो हम महादेव पर जल चढ़ाते है, उसका कारण भी यही है कि जल चढ़ाकर हम खुद को प्रकृति से जोड़ रहे है।