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स्कूलों में 22 छात्रों पर एक शिक्षक, इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी हुआ सुधार, निशंक ने जारी की रिपोर्ट

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नई दिल्ली, एजेंसी। स्कूली शिक्षा में सुधार को लेकर उठाए गए कदमों का असर दिखने लगा है। इसमें बड़ा सुधार छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) में देखने को मिला है, जहां स्कूलों में औसतन 22 छात्रों को पढ़ाने के लिए अब एक शिक्षक है। वर्ष 2012-13 में यह आंकड़ा औसतन 32 छात्रों पर एक शिक्षक का था। स्कूलों में भी हायर सेकेंडरी स्तर पर यह सुधार सबसे ज्यादा दिखा है, जहां पहले औसतन 40 छात्रों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक थे, अब यह औसतन 26 छात्रों पर एक शिक्षक की हो गई है। स्कूलों में इसके साथ छात्रों के सकल नामांकन अनुपात और इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी सुधार हुआ है।
स्कूलों में सुधार को लेकर यह जानकारी यू-डीआइएसई प्लस (एकीत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली) की वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट से सामने आई है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को इस रिपोर्ट को जारी किया। यह रिपोर्ट सभी जिलों से उपलब्ध कराई जाने वाली जानकारी के आधार पर तैयार होती है, जो अलग-अलग मापदंडों पर आधारित होती है। फिलहाल छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) से जुड़ी यह जानकारी स्कूलों के प्राइमरी, अपर प्राइमरी, सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्तर पर ली जाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक स्कूलों में शिक्षकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2018-19 के मुकाबले भी स्कूलों में 2़57 लाख शिक्षक ज्यादा जुड़े हैं। स्कूलों के छात्र-शिक्षक अनुपात में आए इस सुधार को बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्र-शिक्षक अनुपात को बढ़ाने की सिफारिश की गई थी। इसे स्कूलों में कम से कम औसतन 30 छात्र पर एक शिक्षक करने की थी। यह बात अलग है कि स्कूलों में इनकी समान तैनाती नहीं है। किसी स्कूल में यह औसत ज्यादा है, तो कहीं कम है।
यू-डीआइएसई प्लस की वर्ष 2019-20 की इस रिपोर्ट के अनुसार, स्कूलों में छात्रों के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में भी सुधार हुआ है। स्कूलों में उस साल पढ़ने वाले छात्रों की संख्या कुल 26़45 करोड़ थी, जो वर्ष 2018-19 के मुकाबले 42 लाख से ज्यादा थी।

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