उत्तराखंड

अभाकिस ने किया आदिवासी नेता विरसा मुंडा को याद

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रुद्रप्रयाग। अखिल भारतीय किसान सभा ने आदिवासी नेता विरसा मुंडा की 147वीं जयंती पर ऊखीमठ एवं बसुकेदार में कार्यक्रम आयोजित किए। इस दौरान मुंडा के संघर्षो को याद किया गया। कहा कि एक गरीब किसान के घर पैदा होने के बाद भी विरसा मुंडा ने एक बड़े आदिवासी आंदोलन का नेतृत्व किया और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में महत्वपूर्ण व्यक्ति बने। ऊखीमठ बस अड्डे में अखिल भारतीय किसान सभा जिला काउंसिल रुद्रप्रयाग द्वारा किसान आदिवासी नेता विरसा मुंडा की जयंती पर जनसभा आयोजित की गई। इस मौके पर प्रांतीय महामंत्री गंगाधर नौटियाल ने कहा कि विरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को छोटे गरीब किसान के परिवार में हुआ था। उन्होंने 19वीं शताब्दी के अंत में एक आदिवासी आंदोलन का नेतृत्व किया जिस कारण वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए थे। क्रांतिकारी विरसा मुंडा ने रानी का शासन खत्म कर हमारा साम्राज्य स्थापित करने की मांग को लेकर अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन किया। सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जहां 9 जून 1900 को उनकी जेल में ही उनकी मृत्यु हो गई। इसलिए अखिल भारतीय किसान सभा ने पूरे देश में उनकी 147वीं जयंती पर झंडा दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि किसान सभा का 35वां अखिल भारतीय सम्मेलन 16 से 19 दिसंबर तक केरल के कन्नूर में आयोजित होगा। इसका प्रचार प्रसार कर विरसा मुंडा के संघर्षो को जनता के बीच लाया जाएगा। इस मौके पर किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजाराम सेमवाल, सीटू के जिला महामंत्री वीरेंद्र गोस्वामी, किसान सभा के जिला अध्यक्ष अषाढ़ सिंह धिरवाण, जिला सह सचिव दौलत सिंह रावत, सुंदर सिंह राणा, इंद्र लाल, रमेश लाल, दयाल सिंह, पीतांबर दत्त उनियाल, भगत सिंह पंवार, कुंवर लाल, अशोक, प्रताप नेगी आदि मौजूद थे। तहसील बसुकेदार में किसान सभा के जिला कोषाध्यक्ष भरत सिंह भंडारी के नेतृत्व में विरसा मुंडा की जयंती मनाई गई।

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