कोटद्वार-पौड़ी

नगर निगम कोटद्वार को लाखों का चूना लगाने वाला पार्षद महिला ठेकेदार सहित गिरफ्तार, एकाउंटेन्ट फरार

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पुराने काम के नाम पर नगर निगम कोटद्वार में हुई थी 17.8 लाख की घोखाधड़ी
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : नगर निगम कोटद्वार में धोखाधड़ी कर लाखों का गबन करने के आरोप में पुलिस ने कोटद्वार नगर निगम के ही पार्षद व महिला ठेकेदार को गिरफ्तार कर लिया है। जबकि निगम का एकाउंटेन्ट फरार चल रहा है।
कोतवाली प्रभारी निरीक्षक विजय सिंह ने बताया कि 14 अक्टूबर 2022 को वादी किशन सिंह नेगी नगर आयुक्त नगर निगम कण्वनगरी कोटद्वार द्वारा कोतवाली कोटद्वार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई कि नगर निगम कोटद्वार से वर्ष 2017-18 में 23,89,584 रूपये तत्समय काम करने वाले ठेकेदारों के खातों में भुगतान किया गया। जिसके सम्बन्ध में केवल एक पत्रावली वर्ष 2017-18 में कार्य करने के पश्चात भुगतान हो चुका था। तत्कालीन एकाउंटेन्ट पंकज सिंह रावत द्वारा धोखाधड़ी व कूटरचना कर पुन: वर्ष 2021 में उसी कार्य का भुगतान 17,73,886 रूपये ठेकेदार सुमिता देवी को किया गया। थाना कोटद्वार पर दर्ज प्रथम सूचना रिर्पोट के आधार पर कोतवाली कोटद्वार पर आईपीसी की धारा-409/420/467/468/471/120 (बी) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। कोतवाली प्रभारी ने बताया कि विवेचना में पार्षद कुलदीर्प ंसह पुत्र राजपाल कम्बोज अभियुक्ता सुमिता देवी का पूरा काम देखना और भुगतान की राशि 17,73,886 रूपये में से 15 लाख रूपये से अधिक स्वयं निकालना व एकाउंटेन्ट पंकज सिंह रावत के साथ बांटना पाया गया। जिसके सम्बन्ध में दस्तावेजी साक्ष्य होने के कारण कुलदीप सिंह का नाम इस मामले में बढ़ोत्तरी करते हुए उसे भी महिला ठेकेदार सुमिता देवी गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि अभियुक्त एकाउंटेन्ट पंकज सिंह फरार चल रहा है। जिसके खिलाफ 82 सीआरपीसी का कार्रवाई की जा चुकी है। पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक विजय सिंह, उपनिरीक्षक संजय रावत, आरक्षी विकास गैरोला, श्रीयंका आदि शामिल थे।
पुलिस को विगत 14 अक्टूबर 2022 को दी तहरीर में नगर आयुक्त किशन सिंह नेगी ने बताया था कि बैलेंस शीट तैयार करने के दौरान फर्जी भुगतान का मामला पकड़ में आया। बैंक द्वार उपलब्ध कराए गए चैंकों की सत्यापित प्रति पर तत्कालीन नगर आयुक्त प्यारेलाल शाह व लेखाधिकारी निकिता बिष्ट के हस्ताक्षर दर्शाये गए थे। जिसकी पुष्टि हेतु तत्कालीन नगर आयुक्त प्यारेलाल शाह व लेखाधिकारी को सूचित किया गया। जिसके जबाव में उन्होंने बताया कि उक्त हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। बताया कि विभागीय जांच की गई तो गबन में निगम के वरिष्ठ सहायक पंकज रावत व ठेकेदार सुमिता देवी की अहम भूमिका सामने आई। बताया कि पंकज रावत ने वर्ष 2021 में पंजीकृत ठेकेदार सुमिता देवी को वर्ष 2018 में जिस कार्य की निविदा जारी की गई उसका भुगतान कर दिया। जबकि निविदा के समय सुमिता देवी निगम की पंजीकृत ठेकेदार नहीं थी। इसके लिए फर्जी कूटरचित तरीके से दस्तावेज तैयार कर फर्जी हस्ताक्षर के माध्यम से अलग-अलग समय में भुगतान किया गया। पत्रावली में अवर अभियंता द्वारा तैयार बिल पर दिनांक 20.05.2021 की तिथि अंकित है। तथा हस्ताक्षर अवर अभियंता अखिलेश खंडूरी के दर्शाए गए हैं। बिल पर एमबी बुक का नंबर एवं पृष्ट संख्या दर्ज नहीं है। एमबी पर सहायक अभियंता एवं ठेकेदार के भी हस्ताक्षर नहीं है। अवर अभियंता अखिलेश खंडूरी ने बिल देखकर बताया कि बिल उनके द्वारा नहीं तैयार किया गया है। बिल पर जिस हस्तलिपि में लिखा गया है वह भी उनकी नहीं है। साथ ही उनके हस्ताक्षर भी फर्जी तरीके से किए गए हैं। जांच में सामने आया कि जिस कार्य का भुगतान सुमिता देवी को किया गया उस कार्य का भुगतान वर्ष 2019 में निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार को हो चुका था। यही नहीं सुमिता देवी को किए गए भुगतान का बिल पंजिका में भी दर्ज नहीं है। पूरी जांच में सामने आया कि फर्जी चैक के माध्यम से तैईस लाख उन्नवें हजार पांच सौ चौरासी रुपये का भुगतान कर दिया गया।

कोटद्वार नगर निगम में घोटालों की फेहरिस्त हो रही है लंबी
कोटद्वार। कोटद्वार नगर पालिका सहित नगर निगम में निगम की धनराशि को हड़पने का सिलसिला जारी है। जिसके तहत अब नगर निगम में घोटालों की यह फेहरिस्त लंबी होती जा रही है। नगर पालिका परिषद में कूड़ा निस्तारण को लेकर खरीदी गई मशीनों और उसके निस्तारण के मामले में लाखों की अनियमितता के आरोप में तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष शशि नैनवाल, तत्कालीन अधिशासी अधिकारी व लेखाकार पर न्यायालय में मामला विचाराधीन है। जबकि नगर निगम बनने के बाद फर्जी चेक और फर्जी हस्ताक्षर के जरिए 20 लाख से अधिक की धनराशि का गबन करने का मामला भी पुलिस की जांच में है। इस पर कोई कार्रवाई हो पाती की उससे पहले ही यह फर्जी कार्यों के भुगतान के रूप में लाखों का गबन हो गया है।

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