डेढ़ साल बाद स्कूलों में लौटी रौनक, सरस्वती वंदना कर बच्चों ने मागीं सबकी कुशल क्षेम
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी। जनपद में कक्षा एक से पांचवीं तक के सरकारी व निजी स्कूल मंगलवार से विधिवत रूप से खुल गए हैं। कोरोना काल में करीब डेढ़ साल से बंद स्कूलों में अब बच्चों की रौनक देखने को मिल रही है। हालांकि स्कूलों में सामाजिक दूरी व मास्क आदि का बखूबी पालन किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार के कक्षा एक से पांचवी तक के स्कूलों को पुन: खोलने के आदेश के बाद जिला मुख्यालय पौड़ी के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों की चहल कदमी शुरू हो गयी है। करीब डेढ़ साल बाद खुले स्कूलों के दिन एक बार फिर से बहुरने लगे हैं। कोविड काल के बाद जिला मुख्यालय पौड़ी में अब स्कूलों की दिनचर्या पटरी पर लौटती दिखाई दे रही है। बच्चे पूर्व की तरह सुबह स्कूलों को जाते दिखाई दे रहे हैं। मंगलवार को शहर के सरकारी स्कूल आदर्श विद्यालय नंबर पांच समेत एक से पांचवीं तक के सभी स्कूलों में डेढ़ साल के बाद कक्षा-कक्षों में बच्चों के शोर से गूंजने लगे। तो गुरुजनों ने भी माँ शारदा की विधिवत प्रार्थना से स्कूलों में पठन-पाठन का कार्य शुरू किया। इस मौके पर गुरुजनों व बच्चों ने सभी लोगों की उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। वहीं कोविड प्रोटोकॉल के तहत ही स्कूलों में बच्चों को बिठाने से लेकर पठन पाठन किया गया। स्कूलों में सामाजिक दूरी व सैनिटाइजर का विशेष प्रबंध देखने को मिला। कक्षाएं शुरू करने से पूर्व शिक्षकों ने बच्चों से कोविड गाइडलाइन का पालन करने को प्रेरित किया। कहा कि अपनी निर्धारित दूरी पर ही सभी बच्चे बैठेंगे। शौचालय आने-जाने के बाद साबुन या सैनिटाइजर से हाथ आवश्य साफ करेंगे। उन्होंने बच्चों को घर लौटते समय भी साफ सफाई रखने पर जोर दिया।
अभिभावकों में कोरोना को लेकर भय
पौड़ी। अभिभावकों में अभी कोविड का खौफ बना हुआ है। अभिभावक कोविड को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही बरतने को तैयार नहीं। अभिभावक हरेंद्र सिंह का कहना है कि स्कूल की ओर से एक सहमति पत्र देने को कहा जा रहा है। इस सहमति पत्र में कोविड महामारी के प्रति पूरी जिम्मेदारी अभिभावकों की होने की बात कही गयी है। साथ ही कोरोना महामारी के प्रति अभिभावकों द्वारा पूर्ण जिम्मेदारी लेते हुए स्कूल भेजने के लिए कहा गया है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि यदि किसी दिन बच्चा बुखार व ज़ुखाम आदि से पीड़ित होगा तो उसे स्कूल नहीं भेजा जाएगा। उन्होंने इस प्रकार के सहमति पत्रों पर संदेह जताते हुए कहा कि स्कूल भी सरकार ने खोली हैं तो जिम्मेदारी भी तो सरकार की ही होनी चाहिए। बच्चों के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।