केदारनाथ में हिमस्खलन के बाद बढ़ी सख्ती, धाम के पास पर्यटकों के यहां जाने पर लगी रोक
देहरादून। केदारनाथ धाम के आसपास लगातार हो रहे हिमस्खलन के बाद जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है। पिछले दिनों कई बार हुए हिमस्खलन से खतरे की घंटी भी बजी है। राहत की बात है कि हिमस्खलन से केदारनाथ धाम, और तीर्थ यात्रियों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। बार-बार हो रहे हिमस्खलन को देखते हुए जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग ने सख्ती की है।
केदारनाथ धाम के पास स्थित चौराबाड़ी और वासुकी ताल पर ट्रैकर्स और पर्यटकों के जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। मालूम हो कि गर्मियों के महीने में यह दोनों ट्रैक पर्यटकों और ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए पसंदीदा ट्रैक है। चौराबाड़ी ताल मंदिर परिसर से करीब 4 किमी और वासुकी ताल करीब 8 किमी की दूरी पर स्थित है।
दोनों ट्रैक रूटों पर पल-पल मौसम बदलता रहता है, जिससे पर्यटकों की जान पर भी हमेशा खतना बना रहता है। यहां पर भारी मात्रा में बर्फ पड़ी हुई है, और तापमान भी शून्य से कम है। भू-वैज्ञानिक इस बात पर कई बार चिंता जता चुके हैं कि हिमालयी क्षेत्रों में लगातार हो रहे मानव हस्तक्षेप से पर्यावरण पर लगातार दुष्प्रभाव पड़ रहा है। केदारनाथ में बार-बार हो रहे भूस्खलन के बाद सरकार द्वारा वैज्ञानिकों की एक टीम स्टडी करने के लिए भेजी गई थी।
2013 में जून महीने में केदारनाथ धाम में भयानक आपदा आई थी। चौराबाड़ी ताल के टूटने के बाद मंदाकिनी नदी में पानी का जलस्तर अचानक ही बढ़ गया था। नदी का जलस्तर बढ़ने से आपदा आ गई थी। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा आपदाग्रस्त इलाके में तुरंत ही राहत व बचाव कार्य शुरू किया गया था, लेकिन फिर भी आपदा में कई तीर्थ यात्रियों की जान गई थी। आपदा के बाद केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद केदारनाथ पुनर्निर्माण का कार्य किया जा रहा है।
केदारनाथ धाम में पिछले एक महीने में हुए हिमस्खलन की घटना ने सरकार को चिंता में डाल दिया। सरकार ने हिम स्खलन प्रभावित क्षेत्र के सर्वेक्षण और जमीनी अध्ययन के लिए पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी तत्काल केदारनाथ जाकर क्षेत्र संभावित खतरों का अध्ययन करेगी।
भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, आईआईटी-रुड़की, वाडिया हिमालयन भू विज्ञान संस्थान, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के प्रतिनिधि इस समिति में बतौर सदस्य शामिल किए गए हैं।