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एम्स में बेड नहीं मिलने से नवजात की मौत का आरोप

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ऋषिकेश। एम्स ऋषिकेशा में उपचार के लिए लाए गए 12 दिन के नवजात शिशु को मौत पर परिजनों ने आईसीयू बेड नहीं मिलने से मौत का आरोप लगाया है। साथ ही मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी चिकित्सकों पर कार्रवाई की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक नवजात शिशु को स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत की सिफारिश पर रुड़की सेाषिकेश एम्स में उपचार के लिए लाया गया था। मामले में एम्स प्रशासन ने स्पष्टीकरण दिया है। जानकारी के मुताबिक घ्रुड़की निवासी भूपेंद्र सिंह एक अगस्त की शाम को रुड़की से अपने नवजात शिशु की तबियत खराब होने के बाद एम्स ऋषिकेश लाए थे। उनका कहना है कि शिशु का पेट फूल रहा था, संभवत इंफेक्शन था। रुड़की से डक्टरों ने एम्स के लिए रेफर किया था। एम्स आने के बाद बच्चे को इमरजेंसी भर्ती किया गया। एम्स में आईसीयू बेड उपलब्ध नहीं होने के कारण नवजात शिशु को जौलीग्रांट हिमालयन अस्पताल रेफर कर दिया। परिजन जब तक हिमालयन अस्पताल पहुंचते नवजात ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। भूपेंद्र सिंह ने उक्त मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने और दोषी चिकित्सकों पर कार्रवाई की मांग की है।
उधर, एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट संजीव मित्तल का कहना है कि बच्चे को इमरजेंसी में देखा गया था, अक्सीजन भी दी गई थी, लेकिन आईसीयू बेड नहीं होने के कारण बच्चे को अन्य जगह ले जाया गया, जहां रास्ते में उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया राज्य सरकार द्वारा एम्स को 200 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की कार्रवाई गतिमान है। भूमि मिलते ही अस्पताल की सुविधाओं में इजाफा होना स्वभाविक है, जिससे इस प्रकार की समस्याओं का स्वत: ही निराकरण हो जाएगा।

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