पाकिस्तान में मिसाइल गिरने को अमेरिका की भारत को क्लीनचिट
वाशिंगटन, एजेंसी। अमेरिका ने कहा कि हाल ही में भारत से द्गकर पाकिस्तान में 123 किलोमीटर अंदर गिरी मिसाइल की घटना एक दुर्घटना से ज्यादा और कुछ नहीं है। इस बात में हमले का कोई संकेत नहीं है। इस बीच, तिलमिलाए पाकिस्तान ने इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख के समक्ष उठा दिया है। पाकिस्तान ने इसे अपने वायु क्षेत्र का उल्लंघन करार दिया है। भारत की दुर्घटना की दलील को नकारते हुए संयुक्त जांच कराए जाने की मांग की है।
पाकिस्तानी अखबार डान की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वह भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संसद में दिए बयान से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारत का बयान अधूरा, अपर्याप्त है। वह दुर्घटना की बात को खारिज करते हैं इस मामले की संयुक्त जांच चाहते हैं। कुरैशी ने मिसाइल प्रकरण पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुतेरस से बात की है। उन्होंने भारत की ओर से दागी गई मिसाइल पाकिस्तान की सीमा के अंदर आकर गिरने को पाकिस्तानी वायुक्षेत्र का उल्लंघन बताया है।
उन्होंने कहा कि यह बात क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि भारत की इस गैरजिम्मेदाराना हरकत पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नजर रखनी चाहिए। इस बीच, अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि जैसे कि हमने अपने भारतीय साझीदारों से खबर मिली है, इसमें घटना में हमले जैसा कुछ नहीं है। यह एक दुर्घटना से ज्यादा कुछ नहीं है। इस संबंध में कोई भी फालोअप भारत के रक्षा मंत्रालय की ओर से दिया जाएगा। भारत सरकार इस पर अपना स्पष्टीकरण दे चुकी है और हमें इसमें इसके आगे कुछ नहीं कहना है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार भारत सरकार ने घटना को गंभीरता से लिया है। पाकिस्तान में जाने वाली हाईस्पीड प्रोजेक्टाइल मिसाइल मामले की कोर्ट आफ इंक्वायरी का आदेश दिया गया है। यह मिसाइल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के खानेवाल जिले के मियां चन्नू में जाकर गिरी थी। उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही चीन ने भी इस वाकिये को महज हादसा मानते हुए भारत और पाकिस्तान से इस संबंध में बातचीत करने का सुझाव दिया था। उल्लेखनीय है कि विगत शुक्रवार को भारत ने कहा था कि नौ मार्च को एक भारतीय मिसाइल द्गकर गलती से पाकिस्तान में जा गिरी थी। इस हादसे के लिए अफसोस जताते हुए भारत ने इसे नियमित देखरेख के दौरान होने वाली एक तकनीकी चूक बताया था।