….और पनियाली गदेरे को भी है अतिक्रमण से मुक्त होने का इंतजार
उच्च न्यायालय के निर्देश पर अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रहा सरकारी सिस्टम
पनियाली गदेरे के आसपास वर्षों पूर्व लाल निशान लगाने के बाद सो गया सिस्टम
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : उच्च न्यायालय के निर्देश पर सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाया जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में कई दुकानें ध्वस्त कर दी गई हैं। यही नहीं कोटद्वार बाजार में भी अतिक्रमण के खिलाफ लागातार अभियान चल रहा है। लेकिन, कोटद्वार नगर क्षेत्र के बीच से होकर गुजरने वाले पनियाली गदेरे को अब भी अतिक्रमण मुक्त होने का इंतजार है। अतिक्रमण के कारण लगातार संकरा हो रहा पनियाली गदेरा हर वर्ष वर्षा काल में तांडव मचाता है। कुछ वर्ष पूर्व सिंचाई विभाग गदेरे के आसपास अतिक्रमण पर लाल निशान लगाकर गहरी नींद में सो गया था। लेकिन, अब देखने वाली बात यह है कि क्या सरकारी सिस्टम का ध्यान पनियाली गदेरे पर जाता है या नहीं।
घाड़ क्षेत्र के जंगलों से आने वाला पनियाली गदेरा कोटद्वार नगर क्षेत्र के करीब तीन किलोमीटर हिस्से में शहर के बीच से होकर गुजरता है। दशकों पूर्व 16 मीटर चौड़ाई वाला यह गदेरा वर्तमान में अतिक्रमण के कारण 50-60 मीटर तक ही रह गया है। लगातार सिकुड़ रहा गदेरा वर्षा काल में बाढ़ से तबाही का कारण भी बन रहा है। वर्ष 2020 में सिंचाई विभाग ने गदेरे को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए आमपड़ाव, सिताबपुर, कौड़िया सहित अन्य स्थानों पर 140 अतिक्रमण को चिन्हित किए थे। लेकिन, तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी सिंचाई विभाग ने अतिक्रमण हटाने की सुध नहीं ली। ऐसे में अब जब सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने की कवायद चल रही है तो पनियाली गदेरे को भी अपने पुराने आकार में लौटने का इंतजार है।
140 से अधिक अतिक्रमण हैं चिह्रित
पनियाली गदेरे में वर्तमान में प्रशासन व सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम ने 140 अतिक्रमण चिह्नित किए हुए हैं। यहां यह भी बताना जरूरी है कि इसी वर्षा काल में इस गदेरे के पानी व मलबा कई घरों में घुसा था, जिससे आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ा था। इतना ही नहीं, एक मकान व पुलिया भी गदेरे के तेज बहाव से क्षतिग्रस्त हुई थी।
यहां भी है अतिक्रमण
नगर निगम क्षेत्र में शायद ही कोई ऐसा वार्ड हो जहां सरकारी भूमि पर कब्जा न किया गया हो। अधिकांश वार्डों में लोगों ने सिंचाई की गूल व नहर के ऊपर ही अपने भवनों का निर्माण कर दिया है। सबसे बुरी स्थिति मानपुर, सिताबपुर व भाबर क्षेत्र में बनी हुई है। यहां कई लोगों ने अतिक्रमण कर दोपहिया वाहनों के निकलने तक का रास्ता बंद कर दिया है। ऐसे में यदि कहीं अनहोनी हुई तो बचाव अभियान चलाने में काफी समस्याएं होंगे।